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ॐ नमः शिवाय
हीरा
हीरे को संस्कृत भाषा में वज्र, फारसी में अल्मास और अंग्रेजी में इसे डायमण्ड (Diamond) कहते हैं ।
वर्तमान युग में हीरे का स्थान रत्नों में सर्वोपरि है । विशेषता यह है कि यह सबसे अधिक चमकदार होता है। शरीर के पसीने से इसकी चमक खराब नहीं होती। अन्य मोती आदि खराब हो जाते हैं।
सभो रत्नों से अधिक कठोर हीरा होता है। इसकी उत्तपत्ति के सम्बन्ध में बताया जाता है कि हीरा कोयले से बनता है पृथ्वी तल में सदा परिवर्तन होता रहता है। जिसे हम देख नहीं पाते। मिट्टी की अनेक किस्में होती हैं। चिकनी मिट्टी बनने के बाद उस में कंकड़ पैदा होता है। इसी तरह किसी प्रकार की मिट्टी से पत्थर और पत्थर से कोयला बनता है। यह कठोर कोयला ही पृथ्वी में पडे-पडे कभी हीरे का रूप धारण कर लेता है। कोयले से हीरा बनने को पृथ्वीतल में होने वाली प्रक्रिया में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इसकी उत्पत्ति विशुद्ध कार्बन परमाणओं पर एक विशिष्ट मानक तापक्रम पर भारी दबाव पड़ने से होती है। (कोयले से उत्पत्ति होने के कारण हीरे के अन्दर कुछ कालिमा लिये हुये भी धारियां भी होती हैं) हीरा कठोर होने के कारण किसी अन्य धातु से खुरचा नहीं जा सकता। परन्तु अपनी कठोरता के कारण टूट भो जल्दो जाता है। हीरे में समान्तर (तल) तह बनी होती है । उन तलों से यह चोरा जाता है। होरा कठोर होने के कारण किसी अन्य धातु से इसे काटा नहीं जा सकता। सर्वप्रथक भारतीय रत्न [१८]
रत्न ज्ञान
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