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जाये, वह वस्तु संग्रह करने योग्य नहीं है। पर सुन्दर भी हो और टिकाऊ भी हो और आसानी से सबको मिल जाये। सबको उपलब्ध होने के कारण वस्तु का महत्व नहीं रह जाता। उस वस्तु को संग्रह करने की इच्छा नहीं रह जाती। ___कौटिल्य के प्रसिद्ध अर्थशास्त्र ग्रन्थ में होरों का विस्तार से वर्णन किया है। उत्पत्ति स्थान के अनुसार हीरों के भिन्न-भिन्न नामों का रोचक वर्णन अर्थशास्त्र में मिलता है। कौटिल्य ने हीरे आदि प्रमुख रत्नों को राजा के कोष अथवा दूसरे शब्दों में राज्य का मुख्य आधार ही बताया है । वह लिखते हैं
आकरप्रभवः कोषः कोषद दण्ड प्रजायते । पृथवी कोषद दण्डाभ्यां प्राप्यते कोष भूषणा ।
राजा का कोष खनिजों से भरता है, कोष होगा तो सेना होगी और जब सेना होगी तो उसी के द्वारा राज्य की प्राप्ति तथा उसकी रक्षा होगी। हीरे का रंग
पीली आभा लिये हुए हीरा कम मिलता है। भूरे बादामी रंग का हीरा होता है। जिसका मिलना ही दुर्लभ है । लाल या गुलाबी रंग में भी हीरे मिलते हैं। आयुर्वेद में हीरा
रंग बताये गये हैं अत्यन्त सफेद, कमलासन, वनस्पति समान हरे रंग का, गेंदे के समान बसन्ती रंग का, और नीलकण्ठ पक्षी के कण्ठ के समान नीले रंग का, श्याम, तेलिया, पीतहरा। जो हीरा आठ कोण या धार बाला होता है अथवा छः कोण का तेज युक्त इन्द्र धनुष के समान प्रकाशवान वह पुरुष जाति के लिये लाभदायक होता है। [२०]
रत्न ज्ञान
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