Book Title: Ratnagyan
Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri
Publisher: Shiv Ratna Kendra Haridwar

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Page 16
________________ | बृहस्पति का रंग भी पीला है। शुक्र श्वेत वर्ण है। शनि का रंग काला है। राहु का रंग भी काला केतु धुएँ के समान है । मनुष्य के शरीर में योग साधना के अनुसार चक्र होते हैं चक्र भी रंगों से युक्त माने गये हैं । मनुष्य शरीर रंगों से घिरा हुआ है चिकित्सा विज्ञान में भी रंगों का प्रभाव देखने में आता है । अनेक रंगों के बोतलों में जल भरकर तूयं तापी बनाते हैं फिर कई प्रकार के रोगों का उस जल से उपचार किया जाता है । रत्न धारण भी विज्ञान है भारत के मनीषियों ने रत्न विज्ञान की खोज को भी । इसका सम्बन्ध ग्रहों से है और रंगों से भी है । ग्रह नौ हैं जो ऊपर बताये गये हैं और मुख्य रत्न भी नौ हैं ( हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, पुखराज, नीलम, लहसुनिया, गोमेद, मूंगा) । रत्नों के द्वारा मनुष्य को रंगों से होने वाला लाभ भी प्राप्त होता है । आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार रत्नों की रसायन या भस्मो बनाकर अनेक रोगों का उपचार किया जाता है । अतः मनुष्य शरीर पर रत्नों के स्पर्श और घर्षण का भी प्रभाव होता ही है । ज्योतिष विद्या से भी भारत में अनेक प्रकार की खोज की गयी ज्योतिष विद्या सत्य है । इसका जीता जागता प्रमाण है, सूर्य और चन्द्र ग्रहण पञ्चागों में दर्शकों वर्ष पूर्व ही भविष्य में होने वाले ग्रहण को लिख दिया जाता है । मनुष्य के शरीर मन और ग्रह तथा रत्नों के सम्बन्ध पर भी ज्योतिष ने बहुत खोज की, फिर अनुभव किया। कोई रोग होता है तो उसकी औषधि भी होती है । ग्रहों का प्रकोप होगा तो उसका औषधि रत्न भी है । ग्रह आकाश में है, तो रत्न पृथ्वी पर है । ग्रह रंग वाले हैं तो रत्न भी रंगीन हैं मानव शरीर के रंग से इसका कैसे ताल मेल बैठाया जाये । ज्योतिष ने इसका निदान कर लिया और उपचार बतलाया । [5] रत्न ज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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