Book Title: Ratnagyan
Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri
Publisher: Shiv Ratna Kendra Haridwar

Previous | Next

Page 14
________________ ॐ नमः शिवाय रत्नों के सम्बन्ध में कुछ निवेदन योगीराज मूलचन्द खत्री ग्रहों का प्रभाव___संसार के प्रत्येक प्राणी पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है। इस बात को सभी मानते हैं, केवल भारत में ही नहीं, बल्कि यूरोप और अमेरिका में भी भाग्य और ग्रहों के मानने वाले इस समय भी करोड़ों सुशिक्षित व्यक्ति मौजूद हैं। इन देशों के व्यक्ति भी सदा इस बात के लिये सचेष्ट रहते हैं कि अपने आपका अशुभ ग्रहों से बचायें। जो लोग ऐसा कहे कि ग्रहों का असर पृथ्वी पर नहीं पड़ता, तो सूर्य की गरमो से खेत और फल पकते हैं, चन्द्रमा के प्रभाव से जड़ी-बूटियाँ स्वरस होती हैं। समुद्र में ज्वार भाटा का आना-जाना चन्द्र किरणों के प्रभाव का ही फल है। शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा ज्यों-ज्यों बढ़ता जाता है; समुद्र का जल उतना ही ऊपर उठता जाता है। जल का ऊपर उठना चन्द्रमा का आकर्षण ही है। चन्द्र ग्रह पृथ्वी के अत्यधिक निकट है इसलिये यह प्रभाव प्रत्यक्ष देखने में आते हैं। अन्य ग्रह पृथ्वी से दूर हैं। उनका प्रभाव धोमीगति से होता है। इसलिये चर्म चक्षुओं से उसी क्षण देखने में नही आती। यों तो अनन्त कोटि नक्षत्रों का दर्शन प्रति दिवस करते हो - - -- - रत्न ज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90