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कभी-कभी तो ऐसे विक्रेता अपनी कुछ मजबूरियाँ बताकर सस्ता देने की बात भी कहते हैं। क्रेता उसको मजबूरी की बात सुनकर विश्वास कर लेता है और उस रत्न को अमल्य समझकर कम मल्य में प्राप्त हआ मान बैठता है। जब तक उस रत्न को देखकर प्रसन्न भी होता रहता है, जब तक कि कोई उसके विश्वास का पारखी न मिले । परन्तु जब उसे नकली होने का विश्वास हो जाये तब अपनी ना समझो पर पश्चाताप ही करता है।
रत्नों के सम्बन्ध में कहा जाता है कि इनमें देवी शक्तियों का प्रभाव भी होता है। इस प्रकार की वस्तु को कोई विक्रेता धोखा देकर बेचता है तो वह पैसा उसे भलीभूत भी नहीं होगा। इस प्रकार के विक्रेताओं को कुछ ही दिनों में झोली डण्डा उठाकर भागते ही देखा है या फर्मो के नाम बदलते रहते हैं। इससे क्रेता को यह शिक्षा लेनी चाहिये। जो पुराने समय से एक ही नाम से दुकान और एक ही विक्रेता बैठता हो उसी से रत्नों के सम्बन्ध में परामर्श करें और खरीदें क्योंकि आपको दुबारा आने पर भो वह मिल सकेगा।
निवेदकयोगीराज मूलचन्द खत्री शिव रत्न केन्द्र रजि०]
सन्तल सराय, ऊपरी मञ्जिल
गऊघाट हरिद्वार-२४६४०१ नोट-योगीराज मूलचन्द खत्री सन्तल सराय ऊपर दूसरी मंजिल
पर ही मिलते हैं। नीचे किसी दुकान पर नहीं बैठते कृपया
ऊपर ही पधारने का कष्ट करें। रत्न ज्ञान
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