Book Title: Pratyakhyan Swarupam Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चीये श्रीयशोदे-चिंचापाणाइतकामिक्खुरसो । गुडखंडाईनीरं आयामुस्सयमाई य ।। ६५ ।। पाणगआगारेहिं कएहिं एयाई होति | सूत्रविचारे कप्पाइं । इहरा न हुंति कप्पा मोत्तुं उसिणोदगाईयं ॥ ६६ ।। इति पानं । भत्तोसं दंताई ग्वज्जूरं नलिकेरदवाई।ाला पौरुषी प्रत्या- कक्कडियंबगफणसाइ बहुविहं खाइम नेयं ।। ६७ !। गोहुमनणगाईयं भुग्गं भत्तोसमिह समक्खायं । गुरुसंभियदंख्यान तवणाइ देसरूढीए दंतंति ॥ १८॥ इति खादिमं । दंतवणं तंबोलं चित्तं तुलसी कुहेडगाईयं । महुपिप्पलसुंठाइ स्वरूपे. अणेगहा साइमं होइ ।। ६९ ।। इति स्वादिमं । लेसुद्देसेणेए भेया एएसि दंसिया एवं । एयाणुसारओ च्चिय सेसा ॥ ६॥ एमेव नायब्वा ।। ७० ॥ निंबाईणं छल्ली पत्तफलाई य मोय भूईओ। अन्नं चेयपगारं दव्वमणि टुंअणाहारो।।७।। अलमेत्थ वित्थरेणं संपइ वोच्छामि पोरिसवियारं । पुरिसो पुरिससरीरं अहवा संकू भवे पुरिसो ॥७२॥ पुंरिसो पमाणमेई पोरिसी वन्निया इहं छाया । सा भवइ जत्थ काले सोऽवि मओ पोरिसीपहरो ॥ ७३ ॥ कक्कडसंकंतिदिणे पोरिसिमाणं इमं मुणेयव्वं । तत्तो परं तु वुड्डी दक्षिणअयणे इमा नेया ।।७४।। अद्वैगसहिभागा पइदिवसं अंगुलस्स बटुंति । उत्तरअयणम्मि पुणो ते च्चिय हायंति पइदियहं ॥ ७२ ॥ एवं पोरिसमाणं पुरिसच्छायापयाण संखाए । सत्तजुयाए अहवा चउयालसयाहिए भाए ॥ ७६ ॥ लद्धं एत्थ विहीणं घडियाओ सेसमेयसट्टिगुणे । तह चेव हिए लद्धं एगविहणिं पले मुणह ॥७॥ पुठवण्हे गयमाणं एवं अवरण्हि जाण दिणसेसं। नवरं दिणप्पमाणं आगमभणियं इमं नेयं ।। ७८ ॥ ककडसंकंतिदिणे छत्तीसं नाडिगाओ दिणमाणं। चउवीसं घडियाओ रयणि-18॥६॥ पमाणं विणिहिटं ॥७९॥ तीयदिणा चउगुणिया सहिविहत्ता हवंति घडियाओ । एयासि हाणिवुड्डी दिणरयणीसु For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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