Book Title: Pratyakhyan Swarupam
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam

View full book text
Previous | Next

Page 82
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीविशेषण वत्यां ॥१६॥ 8| म्मिवि णाणावरणम्मि जाणइ जगंति । पासइ य दंसणावरणविप्पणासम्मि सब्वष्णू ॥ १८० ॥ मइणाणा अणत्यंतरभूयस्सवि . चक्खुदंसणस्सेह । जह दंसणोवयारो जुत्तो तह केवलसावि ॥ १८१ ॥ भण्णइ चक्खुदंसणमइणाणत्तम्मि कालभेयकयं । जं जत्थ[81 विशेषः दसणं तत्थ णत्थि कालम्मि नाणं तु ॥ १८२ ॥ जइ वा जुगवं चक्खुद्दसणमइणाणविसयया होज्जा । तो जुगवं छउमत्थेऽवि , होज्ज उवओगदुगमेवं ।। १८३ ।। तम्हा अचक्खुदंसणमिह दंसणमिट्ठमोग्गहेहाओ। सव्वत्थ अवाओ धारणा य सुद्धं मइण्णाणं 6॥१८४ ॥ आह किमोग्गहमेतं ण दंसणं होइ सेसयं णाणं । भण्णइ एगसमइओ जमोग्गहो णोवओगो उ ॥१८५।। अंतोमुहुत्तमेत्तं उवओगो णिअमिओ जओ मुत्ते । तम्हा दंसणकालो सिद्धो फुडमोग्गहेहाओ ॥१८६ ॥ जह सेसणाणदंसणणाणत्तं तह जिणम्मि किमणिहूँ ? । णाणत्तं केवलणाणदंसणाणं सलक्खणओ ॥ १८७ ॥ णाणं वत्तं दसणमव्वत्तं भणइ देसियं समए । तो णाणदंसणाणं जिणम्मि सविसेसणं जुत्तं ॥ १८८ ॥ भण्णइ केवलदसणमन्यत्तं जेण होज्ज को हेऊ ?। जइ णाणांओ अण्णं वत्तं च हवेज्ज को दोसो ! ॥१८९ ॥ जह सब्बं विण्णय नाणेण जिणोऽमलं विजाणाइ । तह दसणेण पासइ णिययावरणक्खए सम्म ॥ १९० ॥ जेसिमणिट्ठ दसणमण्णं णाणाहि जिणवरिंदस्स । तेसिं न पासइ जिणो सविसयणिययं जओ नाणं ॥ १९१ ॥ जह पासइ तह पासउ पासइ सो जेण दंसणं तं से । जाणइ अजेण अरहा तं से णाणं निउत्तव्यं ॥ १९२ ॥ जं केवलाई साई अपज्जवसियाई दोऽवि भणियाई । तो विंति केइ जुगवं जाणइ पासइ य सवण्णू ॥१९३।। इहराईणिहणत्ते मिच्छावरणक्खोतवि जिणस्स। १ नाणं तमिह. २ णाणाओ अ अण्णं. ३ जाणेइ. ४ ते ५ तिघेत्तब्वं. CARECRRECOM ARROREAK R%25 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120