Book Title: Pratyakhyan Swarupam
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam

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Page 107
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org १२ विधिः श्रीविंशति-II पडिवत्तिविरहियाणं न हु सुयमित्तमुवयारगं होइ । नो आउरस्स रोगो नासह तह ओसहसुईओ ॥ १२ ॥ नय विवरीएणेसो काप्रकरणाकिारयाजोतेण अविय बढेइ । इय परिणामाओ खलु सव्वं खु जहत्तमायरह ॥ १३ ॥ भेदोऽविस्थमजोगो नियमेण विवागदारुणा ॥१५॥ ४ा होइ । पागकिरियागओ जह नायमिण सुप्पसिद्धं तु॥ १४ ॥जह आउरस्स रोगक्खयत्थिणो दुक्करावि सुहहेऊ । इत्थ चिगिच्छा| किरिया तह चव जइस्स सिक्खत्ति ॥ १५॥ जं सम्मनाणमेयस्स तत्तसंवेयणं निओगेण । अन्नेहिवि भणियमओ उ विज्जासविज्ज पदमिसिणो ॥ १६॥ पढममहं पीईविऊ पच्छा भत्ती उ होइ एयस्स । आगममित्तं हेऊ तओ असंगतमेगंता ॥ १७॥ जइणों ४चउव्विहचिय अन्नेहिवि वन्नियं अणुट्ठाणं । पीईभत्तिगयं खलु तहागमासंगभेयं च ॥ १८ ॥ आहारोवरि सिज्जासु संजओ होइ एस * नियमेण । जायइ अणहो सम्म इत्तो य चरित्तकाउत्ति ॥ १९ ॥ एयासु अवत्तवओ जह चेव विरुद्धसविणो देहो । पाउणइ न उणठा मेवं जइणोऽविहु धम्मदेहुत्ति ॥ २० ॥ इति शिक्षाविंशिका द्वादशमी १२॥ भिक्खाविही उ नेओ इमस्स एसो महाणुभावस्स । चायालदोसपरिसुद्धपिंडगगहणंति ते य इमे ॥ १॥ सोलस उग्गमदोसा सोलस उप्पायणाइ दोसा उ । दस एसणाइ दोसा बायालीसं इय हवंति ॥२॥ आहाकम्मुद्देसिय पूईकम्मे य मीसजाए य । साठवणा पाहुडियाए पाओयरकीयपामिच्चे ॥३॥ परियट्टिए अभिहडे उन्भिन्ने मालोहडे इय । आच्छज्जे आनास? अज्झा| यरए य सोलसमे ॥ ४ ॥धाई दुइ निमित्ते आजीव वणीमगे तिगिच्छा य । कोहे माणे माया लोभे य हवंति दस एए ॥५॥ पुविपच्छासंथव विज्जा मंते य चुन जोगे य । उप्पायणाइ दोसा सोलसमे मूलकम्मे य ॥ ६॥ संकिय मक्खिय निक्खित्त पिहिय साहरिय दायगुम्मीसे । अपरिणय लित्त छड्डिय एसणदोसा दस हवंति ॥ ७॥ एयद्दोसविमुको जईण पिंडो जिणेणऽणुनाओ। Rॐॐॐॐ 8॥१५॥ For Private and Personal Use Only

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