Book Title: Pratyakhyan Swarupam
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam

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Page 92
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषेशण णभीसण मरणमयल संबोहणं व दिक्खा य। मरणसिरिप्पहललिअंगयत्तणं लंतगाणयण ॥३०९॥ सत्तरसण्हयमयणं अट्ठारसमो विणी- ४७ वत्ती यपुव्वोत्ति । दाणं पाणिग्गहणं पूइअलोहेग्गले णयणं ॥३१०॥ णिवलोगंतिअबोहणपुक्खलसालाभिसेअसुयजम्मं । णरवइविरोह पेसण 21 का विशेषे ऋषभ ॥ २५॥ सरवण परिहरण णिव पडणं ॥ ३११ ।। सकार गमण सरवण सागरसेणमुणिसणदाणं च । वेरग्गपुत्त वासघरजोग मरणं इहं जम्म श्रेयांस ॥ ३१२ । सोहम्मगमण चयणं वत्थवइ पहंकराए दुण्हपि । भिससेविसुअभयघोसकेसवाणं इमे मित्ता ॥ ३१३ ॥ णिवसेद्विसत्थ-ल भवाः वाहामच्चसुआ रोगमोअणा जइणो । सामण्णमच्चुअसुरा चयणं पुव्वे विदेहमि ॥ ३१४ ॥ विजयम्मि पुक्खलावइ नामे नगरीए ४ पुंडरगिणीए । जिणवइरसेणधारीणपुत्ता तो वइरणाभाई ॥३१५ ॥ अहयं च सारहिसुओ दिक्खा सन्वट्ठगमणमिह जम्मं ।।४ | एयाई अट्ठ जम्माई आसि अहं सामिणा समयं ॥ ३१६ ॥ तिण्हवि सुमिणाण फलं एवं भणियं गुणित्तिय गुरुस्स । रयणमयमाइपेढं कालेणाइच्चपेढंति ॥ ३१७ ।। ग्रन्थानम् ३८० ॥ ॥ इति विशेषणवती सम्पूर्णा। कृतिराचार्यशिरोमणेर्जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणस्य ॥ SCHECRORESTIONS १ ण्हं संघनय २ पूअण, हग्गलं णयणा ३ बोहणफल. ४. मुत्तवासे, For Private and Personal Use Only

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