Book Title: Pratyakhyan Swarupam
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam

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Page 94
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir IPI २ श्रीविशाता हुंति बोद्धव्वा १० जइधम्मो इत्तो पुण ११ दुविहा सिक्खा य एयस्स १२ ॥ १३ ॥ भिक्खाइविही सुद्धो १३ तयंतराया असुद्धि-४२लोकानालिंगता १४। आलोयणाविहाणं १५ पच्छित्ता सुद्धिभावो य १६॥ १४ ॥ तत्तो जोगविहाणं १७ केवलनाणं च सुपरिसुद्धति १८ला दित्व सिद्धविभत्तीय तहा १९ तेसिं परमं सुहं चेव २० ॥१५॥एए इहाहिगारा वीसं वीसाहिं चेव गाहाहिं । फुडवियडपायडत्था नेया विशिका ॥ २ ॥ पत्तेय पत्तेयं ॥ १६॥ एए सोऊण बुहो परिभावतो उ तंतजुत्तीए । पाएण सुद्धबुद्धी जायइ सुत्तस्स जोगुत्ती ॥ १७ ॥ मज्झ-14 लत्थयाइ नियमा सुबुद्धिजोएण अत्थियाए य । नज्जइ तत्तविसेसोन अन्नहा इत्थ जइयव्वं ॥ १८॥ गुणगुरुसेवा सम्मं विणओx तेसिं तदत्थकरणं च । साहूणमणाहाण य सत्तणुरूवं निओगेणं ॥ १९ ।। भव्वस्स चरमपरियट्टवत्तिणो पायणं [णिणो] परं एयं । एसोवि य लक्खिज्जइ भवविरहफलो इमेणं तु ॥ २० ॥ इति प्रथमाधिकारविंशिका समाप्ता १॥ पंचत्थिकायमइओ अणाइमं वट्टए इमो लोगो । न परमपुरिसाइकओ पमाणमित्थं च वयणं तु ॥१॥ धम्माधम्मागासा ॐ गइठिइअवगाहलक्खणा एए । जीवा उवओगजुया मुत्ता पुण पुग्गला णेया ॥२॥ एए अणाइनिहणा तहा तहा नियसहावओ नवरं । & वटुंति कज्जकारणभावेण भवे ण परसरूवे ॥ ३ ॥ नविय अभावो जायइ तस्संत्तीए य नियम विरहाओ । एवमणाई एए तहा | तहा परिणइसहावा ॥ ४ ॥ इत्तो उ आइमत्तं तहासहावत्तकप्पणाएवि । एसिमजुत्तं पुम्बि अभावओ भावियव्वमिणं ॥ ५ ॥ नो परमपुरिसपहवा पओयणाभावओ १ दलाभावा २। तत्तस्सहावयाए तस्सव तेसिं अणाइत्तं ॥६॥ न सदेवयऽस्स भावों IM को इह हेऊ ? तहासहावत्तं । हंताभावगयमिणं को दोसो ? तस्सहावत्तं ॥ ७॥ सो भावभावकारणसहावभयवं हविज्ज नेयंपि । सव्वाहिलसियसिद्धीओ अन्नहा भत्तिमंतं तु ॥८॥ धम्माधम्मनिमित्तं नवरमिहं हंत होइ एसोवि । इहरा उ थयकोसाइ सव्य For Private and Personal Use Only

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