Book Title: Pratyakhyan Swarupam
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam

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Page 68
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वनस्पत्यवगाहा वत्यां ॥२॥ GADGAODONEDROOTECTORX अट्ठसटुं अंगुलसयं लब्भामो एगेणं किं लब्भामो ?, आगयं-एगमुस्सेहंगुलं दो अं आअंगुलपंचभागा, सवण्णिा सत्त पंचभागा, | द्र एवं भगवओ वीरस्स जमायंगुलं तमुस्सेहंगुलेण सत्त पंचभागा, विउणं च सुत्ते भणियं, एयं पुण खेत्तगणियं पडुच्च विउणं, सेढि गणिएण सत्त पंचभागा, कहं , इहायंगुलेण पंचहत्थो भगवं, उस्सेहंगुलपमाणेण सत्तहत्थो, एवं जाई भगवओ पंच आयंगुलाई 8 ताई सत्त उस्सेहंगुलाणि, एवं हत्थादोऽवि, तत्थ समणे० सत्तहत्थो, एवं जा चउरंसपंचगमायंगुलं बाहापडिबाहागुणं खेत्तगणिएणं पणवीसं रूवाई, समचउरंससत्तगमुस्सेहंगुलं भगवओ वाहापडिबाहागुणं खेत्तगणिएणं एगूणपण्णं रूवाइंतिकाउं किंचूणबिगुणमुस्सेहंगुलाओ, उण्हीसाइसाहिअत्तणओ वा पण्णासं चेव रूवाइंतिकाउं बिगुणं चेव भण्णति, अहवा समचउरंसपंचगस्स उस्सेहंगुलस्स पण्णासकरणीओ कण्णो, एस महावीरायंगुलस्स बाहा बाहाए गुणिया गणियंतिकाउं पण्णासा करणीए गुणिया जायाइं पणवीस सयाई २५००, एएसिं मूलं पण्णासं रूवाणि महावीरस्सायंगुलखेत्तगणिअं, एयस्स उस्सेहंगुलखेत्तगणियाओ पणवीससयाओ विगुणं । इयाणिं छज्ज [प] गएणं पञ्चक्खं दाइज्जइ, तत्थ ताव इमं समचउ४|रंसं पंच समुस्सेहंगुलं ता इमं पुण समचउरंसं पण्णासकरणीयमायंगुलं भगवओ, ता इयाणिं एवं चेव जहा उस्सेहंगुलकण्णाओ |णिप्फज्जइ तमेवमालिाहअत्ति, एवं जे उस्सेहंगुलप्पमाणगुलाणं उस्सेहंगुलमहावीरायंगुलाण य विरोहाभिप्पाएणं पमाणविसंवायाइदोसा चोइ ते परिहरिया भवंति १॥ (१) दो अ अं० (२) संचुण्णिआ, For Private and Personal Use Only

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