Book Title: Pratyakhyan Swarupam
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वत्यां णिगंतूर्ण सोलसअंगुलाई उस्सेहवुड्डी, इमा पुण एगरूवबुड्डी, जइ पंचाणउइ जोअणसहस्साई गंतूण सोलस जोअणसहस्साई उस्सेह | लहामो जोअणे किं लब्भामो?, आगतं सोलस पंचाणउइभागा जोअणस्स, एवमायंगुलाणंपि, एवं जंबुदीवपण्णत्तीकरणगाहासु ॥३॥x गणितपद | माभाव्यं लवणस्स खेत्तगणियं पुवायरिओवणिबद्धं जंबुद्दीवलवणपरिरए दोवि एगओ मेलेऊण अद्धं घेप्पइ, तं पंचुत्तरजोअणसहस्सेणं ज्योतिष्कः विक्खंभेणं गुणिज्जइ, पुणो सम्बग्गेण सत्तरसजोअणसहस्सेणं गुणिज्जइ, तओ एवं आगयफलं भवइ । सोलसकोडाकोडी तेणउद्द कोडिसयसहस्साई । ऊयालीस सहस्सा णव कोडिसयाई पण्णासा ॥ १४ ॥ पण्णाससयसहसाई जोयणाणं भवे अणूणाई । लवणसमुदस्सेयं जोअणसंखाए गणिअपयं ॥ १५ ॥ एवं उभयवेइयंताओ ४॥ सोलससहस्सउस्सेहस्स य कण्णगईए जं लवणसमुद्दामव्वं जलसुण्णंपि खित्तं तस्स गणियं, जहा मंदरस्स पव्वयस्स एकारस-| | भागपरिहाणी कण्णगईए आगासस्सवि तदाभव्वंतिकाउं भणिया तहा लवणसमुदस्सवि ५॥ आह-सोलसहस्सिाए सिहाए कहं जोइसविधाओ ण हवइ ?, तत्थ भण्णइ, जेण सूरपण्णत्तीए भणिअं-जोइसियविमाणाई | | सवाई भवंति फालिअमयाई । दगफालियामया पुण लवणे जे जोइसविमाणा ।। १६ ॥ ज सव्वदीवसमुद्देसु फालिआमयाई लवण-TRI | समुद्दे चेव केवलं दगफालिआमयाई तत्थ इदमेव कारण-उदगेण मा विधाओ होउत्ति, जंसूरपण्णत्तीए चेव भणियं, लवणम्मी जोड़-1 सिया उ8 लेसा हवंति णायव्वा । तेण परं जोइसिया अहलेसाया मुणेयव्वा ॥ १७ ॥ तंपि उदगमालावभासणत्थमेव, लोगडिइशा ( एसा. जीवा ३०४ पत्रे)६॥ सत्त य सत्तट्ठाणाईएसु ( ११.५५६ ) दस कुलगरा दसट्ठाणे (११-७६७)। पण्णत्तीए भणिया पण्णारस जंबुदीवस्स IA %3D For Private and Personal Use Only

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