Book Title: Pratyakhyan Swarupam
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
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१७-१९ विशेषाः
वत्यां
विशण (भ.६१२)धम्माइपएसेहिं दुपएसाई जहण्णयपयम्मि । दुगुणदुरूवहिएणं तेणेव कहणु हु फुसेज्जा ॥६१॥ एत्थ पुण जहण्णपयं
लागते तत्थ लोगमालिहिउं । फुसणा दाएअव्या अहवा खंभाइकोडीए ॥ ६२ ॥१६॥ ॥ ८ ॥
(भ. ७८४) वीसइमसउद्देसे चउप्पएसाइए चउप्फासे | एगबहुवयणमीसा बीयाईआ कहं भंगा? ॥ ६३ ॥ देसी देसा || व मया दव्ववेत्तवसओ विवक्खाते । संघाइयभेयतदुभयभावाओवी वयणकाले ॥ ६४ ॥१७ ।
(भ. ८६५) परिमंडलं जहनं भणियं जुम्मणवडिओ लोओ। तिरियाययसेढीण संखयपएसया कहणुः ॥६५॥ दो दो दिसासु एक्केकओ य विदिसासु एस कडजुम्मो । पढमपरिमंडलंते बुड्डी किर जीवलोअंतो ॥ ६६ ॥ अटुंसया पसज्जइ एवं लोगस्स ण परि| मंडलया । वट्टालेहेण तओ वड्डी कडजुम्मिया जुत्ता ॥६७॥ जइ लोगतिरिअसेढो संखेज्जपएसियावि वजीत । किमलोगतिरिअसेढी संखपएसा ण सिद्धा उ॥६८॥ एवं वा दव्वट्ठा जइ सव्वा कडजुम्माओ कह पएसतया? । लोगतिरिअसेढीओ भणिया कडवायरपएसा ॥६९॥ जइवि तिरिआययाओ णियमा कडबायरा पएसतया । उडाइया कहं तो कडजुम्मा होति दव्यतया ॥७॥ उड्डाययाण जा खलु पएसदब्वट्ठया विणिहिट्ठा । होअव्वं तिरियाणं ताए दव्बप्पएसतया ॥ ७१ ॥ पच्चक्खं दाइज्जइ सेढीणं |पयरलोगनालीए । दव्वपएसट्ठयया जुम्मविभागे जहा जेसि ॥ ७२ ॥ १८।।
कोडाकोडी अयरोवमाण तित्थंकरणामकम्मठिई । बज्झइ य तयणंतरभवम्मि तइयम्मि निद्दिटुं ।। ७८ ॥ तट्टिइमोसकेउ| तइयभवो अहव जीवसंसारो तित्थयरभवाओ वा ओसकेउं भवे तइए ॥ ७९ ॥ जे बज्झइत्ति भणिय तत्थ निकाइज्जइत्ति णिय-1& मोऽयं । तदवंझफलं नियमा अण्णा अणिकाइआवत्थे ॥ ८० ॥ १९ ।
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