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प्रतिष्ठा नाम्नलि
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श्री शान्तिनाथ प्रभु की पूजा रचाऊँ, सुख शान्ति सहज स्वामी निज माँहि पाऊँ ।।
ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा । निष्काम ब्रह्मरूपं निज आत्म जाना, दुर्दान्त काम नाशे हो आत्मध्याना । श्री शान्तिनाथ प्रभु की पूजा रचाऊँ, सुख शान्ति सहज स्वामी निज माँहि पाऊँ ।। ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाधजिनेन्द्राय कामवाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
परिपूर्ण तृप्त ज्ञाता निजभाव जाना, नाशें क्षुधादि क्षण में हो आत्मध्याना । श्री शान्तिनाथ प्रभु की पूजा रचाऊँ, सुख शान्ति सहज स्वामी निज माँहि पाऊँ ।।
ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
निर्मोह ज्ञानमय ज्ञायक रूप जाना, कैवल्य सहज प्रगटे हो आत्मध्याना ।
श्री शान्तिनाथ प्रभु की पूजा रचाऊँ, सुख शान्ति सहज स्वामी निज माँहि पाऊँ ।।
ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
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निष्कर्म
निर्विकारी चिद्रूप जाना,
भव हेतु कर्म नाशें हो आत्मध्याना ।
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श्री शान्तिनाथ प्रभु की पूजा रचाऊँ, सुख शान्ति सहज स्वामी निज माँहि पाऊँ ।।
ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय अष्टकर्मदहनाय भूपं निर्वपामीति स्वाहा।
निर्बन्ध मुक्त अपना शुद्धात्म जाना, प्रगटे सु मोक्ष सुखमय हो आत्मध्याना ।
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