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प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
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आहारदान के समय मुनिराज ऋषभदेव की पूजन
(पद्धरि) जय जय तीर्थंकर गुरु महान, हम देख हुए कृत-कृत्य प्राण । महिमा तुमरी वरणी न जाय, तुम शिवमारग साधत स्वभाव ।।१।। जय धन्य-धन्य ऋषभेश आज, तुम दर्शन से सब पाप भाज। हम हुए सु पावन गात्र आज, जय धन्य-धन्य तपसार साज ।।२।। तुम छोड़ परिग्रहभार नाथ, लीनो चारित तप ज्ञान साथ । निज आतमध्यानप्रकाशकार, तुम कर्म जलावन वृत्ति धार ।।३।। जय सर्व जीवरक्षक कृपाल, जय धारत रत्नत्रय विशाल । जय मौनी आतम मननकार, जग जीव उद्धारण मार्गधार ।।४।। हम गृह पवित्र तुम चरण पाय, हम मन पवित्र तुम ध्यान ध्याय । हम भये कृतारथ आप पाय, तुम चरण सेवने चित बढ़ाय ।।५।। ॐ ह्रीं श्रीऋषभतीर्थंकरमुनीन्द्र पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।
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