Book Title: Prashna Vyakaran Sutra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
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________________ - Aght देशाङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र-प्रथम-आश्रद्वार मणसकिलेसं पियरणं; अलिय नियडि, सातिजोग बहुलं, नायजण निमेवियं निसंसं . अप्पञ्चय कारगं, परम सहुगरहणिजं, परपीडा कारगं, परम कण्हलेस सहिय, दुग्गति विणिवाय वड्डणं, भव पुणब्भवंकरं चिरपरिचियगयं, मणुगय दुरत तिबेमि // बिइयं अहम्मदारं सम्मत्तं // 2 // * * . उत्कृष्ट साधुओं का निन्दक, दूसरे को पीडा करनेवाला, दुर्गति का दुःख बढानेवाला. और पुनर्भव कराने-13 वाला है. जीव को इस का दीर्घ काल से परिचय है. ऐसा दूसरा अलिक नमक अधर्म द्वार है // 2 // इति द्वितीय मृषा नामक अधद्वार समाप्तम् // 2 // मृषा नामक द्वितीय-अध्ययन 48 NEW -.. - -'.