Book Title: Prashna Vyakaran Sutra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
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________________ 4. अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी - मंडव दोणमुह पट्टण सम संबाह सहस्स थिमिय, णिच्चुय पमुदितजण, विविह सस्स नप्पजमाण, मेइणिसर सरित, तलाग सेल काणण आर मुजाण मणाभिराम परिमंडियस्स, दाणड्ड वेयड्डागरी विभत्तस्स लवणजल परिगहरस छव्विह कालगुण कम जुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिका, धीर कित्ति पुरिसा, उहबला,. अतिबला,अनिहया अपराजिय सत्तुमद्दणा, रिपुसहस्समाणमहणा, साणुक्कोला, अमच्छरी, मच. . वला अचंडा, मियमंजुलप्पला वाहसिय गंभीर महुर भणिया, अब्भुवगयवच्छलासपणा, लक्खणवंजणगुणोववेया, माणुम्माणप्पमाण पडिपुण्ण सुजाय सवंगसुंदरंगा, समुद्र जियाद दश दशार हैं. प्रद्युम्न, शांब अनिरुद्ध प्रख साढे तीन क्रोड कुपार हृदय को / अत्यंत बल्लकारी देवकी नामकी कृष्ण की माता और वरदेव का माता रोहिणी है. सोलह हजर मुकुटबध गजा उन के अनुयाय हृदय और नेत्रको वल्लभकारी मोलह हजार गनिये ,मणिसुवर्ण मोतिगत, धान्या. इन के मंचय से ऋद्धि समृद्धि से परिपूर्ण भंडार हाथी, घोडे और रथके स्वामी, घन ग्राम,नगर अगर, खेड, कट मंडप, द्रोणमुख, पाटण, आश्रम, संवाह के अधिपति हैं उन के राज्य में लोक सदैव प्रमुदित रहते हैं अनेक प्रकार के धान्य से मेदनी सदैव फलीफली रहती है. सरोवर, ताव, मदियों पर्वत, जंगल, आराम, उद्यान कविगैरह से मुशोभित है. चेताहय पर्वत पर्यंत दक्षिणार्ध भरत के स्वामी हैं. धैर्यवंत, * प्रकाशक-राजाबहादुरेलाल मुख सहायजी ज्वालाप्रसादजी **