Book Title: Prashna Vyakaran Sutra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari

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Page 203
________________ इक्कारसय उवसगाणं पडिमा,बारसय भिक्खुपडिमा,तेरस किरिया द्वाणाए,चउदस भयगामा मैथुन और परिग्रह, 5 पांच किया-कायिकी, अधिकरण की, प्रद्वेष की, परितापना की और प्राणातिपात की, पांच ममिति-ईर्या समिति, भाषा समिति, एपणा समिति, आदान मंडपत्त निक्षेपना समिति और उच्चार प्रस्रवण परिस्थापनीय समिति, पांच इन्द्रिय-श्रोत्र, चक्षु, ध्राण, रसना और स्पर्श पांच महा व्रत अहिंसा, सत्य, दत्त, ब्रह्मचर्य और निर्ममत्व, 6 षटू जीव काया-पृथी, अप, तेउ' वाय वनस्पति और त्रस, छ लेश्या-कृष्ण; नील, कापोत, तेजो, पन और शुक्ल // 7 सात भय / Bइसलोक का भय, परलोक का भय, आदानभय, अकस्मात भय, आजीविका भय, मृत्यु भय, और पूजा लायाभय // 8 आठ मद-जाते, कुल, बल, रूप, लाम. तप और ऐश्वर्य का मद॥९ नव वाड ब्रह्मचर्य की खा पशु पंडग रहित स्थान भोगवे, खोकी कथाकरे नहीं, स्त्री के अंगोपांग देख नहीं, स्त्री साथ एक आसन बटे नहीं, भीति आदि के अंतरसे भी क्रीडा के शब्द श्राणकरे नहीं, पूर्वके काम का भोग स्मरण करे नहीं नित्य सरस आहार को नहीं. क्षुधा उपरांत आहारकरे नहीं, और शरीर का श्रृंगार करे नहीं, // 50 दश प्रकार माधु का धर्म-क्षमा, निर्लोभता, ऋजुता, मृदुता, लघुता, सत्य, संयम, तप, ज्ञान और ब्रह्मचर्य, // 11 अग्यारह श्रावक की प्रतिमा-१ सम्यक्ष, 2 व्रत 3 सामायिक, 4 पौषध, 5 नियम, 6 ब्रह्मचर्य 7 सचित त्याग,८ अनारंभ 9 पेमारंभ, 10 उद्विहरंभ ओर 11 श्रपणभूत // 12 बारह प्रक र भिक्षुकः प्रति / ङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र-द्वितीय वरद्वार 434 निष्परिग्रह नायक पंचम अध्ययन 444

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