Book Title: Prashna Vyakaran Sutra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari

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Page 207
________________ सत्तावीसा अणगारगुगा, अट्टवीसा आयरकप्पा, पावसू पाएगुणतीसा, तीसंमोहणियट्टाणा, ङ्ग-नव्याकरण सूत्र-द्वितीय संवरद्वार - हुए॥२७ सत्ताइस साधु के गुन-पांच महावन पाले, पांच इन्द्रिय जीते,चार कषाय टाले,यह१४और भावसत्य, 197 करण सत्य, जोग सत्य, मन समाधारन, वचन समाधारन, काया समाधारन, ज्ञान संपन, दर्शन संपन्न चारित्र संपन्न, सम्पक प्रकार से वेदना सहे, समभाव से मारणांतिक कष्ट सहन करे, क्षमावंत और वैराग्य, चंत॥२८ अट्ठावीस प्राचार कल्प-अर्थात् आचार के 28 अध्ययन. 1 शस्त्र परिज्ञा,२ लोक विजय, 3 शीतो. प्णीया, 4 सम्यक्त्व, 5 आवंती के यावंती, धूर्ताख्य,७ विमोहाख्या,८ उपधान श्रुत,९महाप्रज्ञा (यह नवी प्रथम श्रुत स्कंध के) 10 पिण्डेपणा 11 शैय्या 12 ईर्या 13 भाषा 14 वस्त्रेषणा 15 पाषणा 116 अवग्रह प्रतिमा 17-23 सात सत्त की 24 भावना और 25 विभुक्ति. य 25 आचारांग की / 26 उपधात्तिक, 27 अनुपातिक और 28 व्रतारोपण ये तीन निशिथ सूत्र के॥ 21 गुनतीस-पास 2. उल्कापात, 2 भूमिकम्प, 3 अंतरिक्ष, 4 निमित्त, 5 अंगस्फुरन, 6 स्वर 7 व्यजंन और लक्षण ये ८मूल सूत्र, इन 8 का अर्थ और ८की वार्तिका यों २४हुए, २२गंधर्व कला २६नृत्य शास्त्र, 271 / स्तु [पाक शास्त्र ] 28 औषध शास्त्र और 29 धनुर्विद्या // 30 ती महा मोहनीय कर्मबंध के भेद-१त्रम प्राणि को पानी में डुबोकर पानी रूप शस्त्र से मारे, 2 अप्स प्राणी के अशुभ अध्यवसाय से मस्तक पर. आई चपला बांध कर मारे, 3 अपने हाथ से जीवों का ग का रूंधन करे और गले श्वाश धुर्धराट म . * निष्परिग्रह नामक पंचम अध्ययन +8 ..

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