Book Title: Prashna Vyakaran Sutra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari

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Page 205
________________ - एगुणवीसइनाय,विसंअसमाहिट्ठाणा,एगवीसाए सबलाय,बावीसं परिसहाय,तेवीसए सुथ 125 दशमाङ्ग प्रश्नव्याकरण मूत्र द्वितीय-संघरद्वार 481 अब्रह्म उदारिक शरीर आश्रीय मैथुन सेवे नहीं सेवावे नहीं और सेवतेको अच्छा जाने नहीं मन से वचन से और काया से. ये नव भेद उदारिक से हुए वैसे ही नब भेद वैक्रेय का जानना. 19 उन्नीस ज्ञाता सूत्र के अध्ययन-उत्क्षिप्त मघकुमार का धन्ना सार्थवाह का, मोर के अण्डे का, कूर्य काछवे का, सेलक राजर्षि का सतम्बडी का, रोहिनी का, मल्लिनाथ का, माकंदिय पुत्र का, चंद्रमा का, दावद्रव वृक्ष का, सुबुद्धि प्रधान कानंदमणियार का, तेतली प्रधान का, नंदीफल का, द्रौपदी का, आकीर्ण जाति के घोडे का, सुसुमाल / की, का और कुंडरिक पुंडरीक का // 20 असमाधि के स्थानक-शीघ्रगति से चले, विना पूंजे चले, पूजे हुवे * संस्थान में चले नहीं, पाट पाटला मर्यादा से अधिक भोगवे, गुरु आदि के सन्मुख बोले, स्थविर की बात चितवे. किसी भी जीव की घत चितवे, क्षण 2 में क्रोध करे, निदाकरे, निश्चरकारी भाषा बोले, नया *वेश करे. पहिले का क्लेश की पुनः उदीरण करे. मंचित्त रज से भरे हुवे हाथ पांव बिना पूंजे रखे,अकाल में स्वाध्याय करे, क्लेश करे, प्रहर गत्रि गये पीछे बडे 2 शब्द से बोले, चारतीर्थ में फूट डाले, अन्य को दुःव दायी होने वैसे वचन बोले, सूर्यादय से सूर्यअस्त पर्यंत खाया करे. और एषणा में प्रमाद करे / 121 इक्कीप सबल दोष-हस्त कर्म करे, मैथुन सेवन करे, रात्रि भोजन बरे, आधार्मिक 'आहार भोगवे, शैय्यांतर पिंड भोगवे, उद्देशिक आहार भोगवे, साधु के लिये मोल लाया हुषा 2- निष्परिग्रह नामक पंवम अध्ययन 48+ -

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