Book Title: Prashna Vyakaran Sutra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
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________________ .+ दशमाङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र प्रथम-आश्रबद्वार 413 अब्रनचर्य नाम द्वरायकुलसेवियाहि, कालागुरुपवर कुंदरुक्क तुरुक्कधूममघमघंतवासवासिया गंधधूयाभिरामाहि, चिल्लकाहिं उभयोपासंपि चामराहिं, उक्खिप्पमाणाहिं, सुह सीयलवाय वीयियंगा, अजिता, अजितरही, हल मुसल कणगपाणी संख चक्क गय सदण दगधारा परवरुज्जल सुकय, विमलं को)भ तिरिडधारि कुंडलुजोवियणणा पुंडरियणयणा, एगावली कंठरइयवत्था, सिरिवच्छ सुलंछणा, वरजसा, सव्वो उयसुरभिकुसुम रइबपलंवसोहंतवियसंत, विचितवणमा, रइयवस्था, अट्ठासमुद्र के पानी समान चंचल, मानस सरोवर में स्थापित निर्मल आकारवाले, सुवर्ण शिखर आश्रित, ऊपर नीचे चारों तरफ पसरा हुवा वायु जीतनेवाले, शीघ्र वेग जातनेवाले, माहा हंस सपान उज्जल } 20 अनेक मणि सुवर्ण महा मूल्यवाला तप्त रक्त वर्णवाला उज्वल सुवर्ण के दंड युक्त नरपति की लक्ष्मी के समुदाय का प्रकाश करनेवाले, प्रधान पाटन वसानेवाले, राजकुल में से बनाने योग्य कृष्णागुरु प्रधान , कुंदरुक सेल्हारसके धूए से मघपघायमान ऐसी गंधवाले चपर दोनों बाजु तिस को विजाते हैं वैसे, मुखकारों मुशोभित वायु से विजाते हुए अंगवाले, अजित रथ के धारक, हल मूशल, (बलदेव के शस्त्र ) : परजन्य शंख, सुदर्शन चक्र, कौमुदी गदा, पद्म और खड्ग के धारन करनेवाले, प्रधान उज्वल सुरचित, निर्मले गोस्तूप मणि युक्त मस्तक के मुकूट, कानों में कैंडल धान क.नेवाले, पुंडरीक कमल पत्र ममान अध्ययन 4 1