Book Title: Prashna Vyakaran Sutra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
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________________ ܨܘ ܕ 48 दशमाङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र-प्रथम आश्र द्वार MM आदेज लडह सुकुमालमउय सुविभत्तरोमराई, गंगावत्तग दाहिणावत्त तरंग भंग रविकिरण तरुण बोहित अकोसायत पउमगंभीर विगडनाभी, अणुब्भड पसत्थ सुजात पीणकुत्थी, समंतपासा, संगयपामा, सुजायपासा मियमायित, पाणरइयपासा, अकरंडुय, कणगरुयग, निम्मल सुजाय निरुवहय गायलट्ठी, कंचण कलस प्पमाण समसंहिय लट्ठ चुच्चुय आमेलग जमल जुयल वट्टिय पोहराओ, भुयंग अणुपुब्बतणुय, गोपुच्छवट्ट सममहिय निम्मिय आदेजलडहबाहा तंबनहा, मंसलग्ग हत्था. कोमल पीवरंगुलीया, निहपाणिलेहा, सास अद्रष्ट सुवर्ग की कान्ति समान निर्मल निरुपद्रव गाव हैं. सुवर्ण कलश समान मनोहर स्तन हैं. परस्पर नहीं मिलते हुए वर्तुला कार दो पयोधरहे. सर्प समान अनुक्रम से बढ़ती हुई गोपुछ समान वर्तुकार रमणिक बांहाह. रक्ततम्रवर्णवाले नख हैं. मांस से पुष्ट कौमल अच्छी हाथ की अंगुलियों हैं.स्निग्ध चिकनी हस्तरेखा है, चंद्र सूर्य शंख स्वस्तिक इत्यादि हाथ में रेखा है. पुष्ट उन्ना वक्षःस्थल है. मतिपूर्ण गोल कपोल है, चार अंगु मुममाण शंख समान ग्रीवा है, मांस.से पुष्ट सुसंस्था प्रशस्त दादी है, दाडिम के पुष्प समान प्रकाश बाल पुष्ट लो अधर ष्ट हैं, दषि, पानी के कण, कुंद के पुष्प, चंद्रमा, और वसती सपान उज्वल अब्रमचर्य नामक च /