Book Title: Param Urjano Pavitra Parichay
Author(s): Sanyambodhivijay
Publisher: Jainam Parivar

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ お e (या भावाना वायुमंडलमा गुमराह बलोक नक पेऊने अनुशास सिद्धांतोमा व्यवस्थित रखी (4) 어에 ९) मैने तरी पाग अनुशासनले समक: शो तथा भजेधो दुरखान लाल पेठ सुध नेपाल टोमला पांसे होष्ट ह भुपननी व्यरमआग सुध खप्रमन्त युगे संयम नपर्नु यासन उखान साथै प्रलु शासन देखने संघना खल्युहय मारे तळेखो जुम्या शा सेवा मुडी गयला सेमना शिष्याहि परिवार पाग गुरुला अर्थने सागंज घपासी रह्या छे, जसो साधुखो गुरुहेबको गरछ नाले ओम सेवा पोसशन मुनिजनी संख्या लसू खागज वह रसो छ. वायलाखो अपरानो, विजीको बारे प्रवृत्तिरतो पड़ा स्व गुम्देली रा मुभज सुंदर व्याल रही र्छ अनु शासनना भन्यो जेगोने अगर fam लोमनी याकेनाल पूर्णली मारे शाहपुर खाले मानस मेहिरानी स्थापना पाग यही गयी हो लेखामा सत्याहि दया ही पाग पूज्यनी यावेना शेप जारी गरेरी (जाड) () Reule विषयो पर नानी नाली सरनुस सरज भाषामा तैयार थाय रुके लेलो लाल प्राप्त व्यच्छ पिण्याक शान सरमनाश प्राप्ता यद्य राजे तरेन चुक्याह गुरुध्यनी हरछा मार्ग स्वानो भारल मारा शिष्य येण्यास ४ देना होते प्रशस्यद्धा सेयम्‌बोधिलक्म सान्हनो वषय है पं. से सारा शास 2. संयम तपना पगा सारा रा प्रलापना पाग सुंदर कुरो हो या डायलो तसो सुंदर खेराजु ४ नहि पाग बेचनी बेना तरिक नाराधना साथै शासन र ल्युध्यन गुरुध्यनी रजन्य छापा मार्ग रखा प्रयत्लास जने गले सइजताने पर ४ शुभेच्छा- शुभाशीष हेमचंद्रपूर धनतेरस से २०५७ सुरन्द्रनगर 39 सरजताको प्राप्त करे

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106