Book Title: Param Urjano Pavitra Parichay
Author(s): Sanyambodhivijay
Publisher: Jainam Parivar

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Page 12
________________ ભવોદધિતારક ૫.પૂ. ગુરૂદેવશ્રીનો આશિર્વાદ પત્ર नमो नमः श्रीगुरुप्रेमसूरये। सुविशयी गरछना सर्भक स्थ. सिद्धांतमहाईघि सासार्य हव समह यन्य प्रेमसूरी धरत महाराल शून्यमोश लमने विराट सभी यु संवत २८द्मो पिंडवाडा यानुमसि भ्रसंगे रच-गुरु साथै सार हाएगा हता जाने सागस्त्य खवे हयात थघने लगलग एकरश वधु मुनिसोनु समाग हो रखनके ज्ञानी, गीतार्थ, तपस्वी, प्रण थन बटुलो- संयमीजीको मिशाज समुदाय ना तेजो सभी जन्या. लेखोलना पटार, लवन कर सुध गुरु लगयंतनी घरछा जोनी पूर्ति दुखानु अर्थ भनेमागे र्फ्यू से स्वा पूक्यपाह अनुरुप सामायी लगयंत महलक्य युधनलानु सूरा घर महाराल श्रेष्ठ संयम् श्रितम साथ विशिष्ट 1নप्राप्ति के खेमल विशेषता हुती भ्रत्तु शासन रखने संघनी सेवामा खानु भवन समर्पित ड्यु आजण पुरु षार्थ ड्यौ, काननी जेटली संध्या सुद्ध संप्रमान साधना सांधे ते खोखे अत्यंत समाधि साधे परसोड यागड्यु जुद्धि करस्पति की हुती, लेख प्रशासन खन संघना जल्युदय मारे खनडे प्रसरण योन्नास तेमना मनमा रमती स्वीक त्थ अनु शासन याने संघना खल्युध्द भाटे संयम, ज्ञानी तपसाधुखोलाला समुहायनुं सर्वन हरखु (2) अनु शासनना विशाल साहित्यन रक्षाकरखा, उत्सूत्र उन्मार्गको अतिकरस्त प्रभु शासनकी रक्ष दुरखी, (3) साधु-साधधकी नमी सेयमनु करते मारे दिशार रेसम्म दायनाकी साफ ले श्रt श्रोम का प्रतापइयाग बारे धर्मत्रघात शोमा लडेवा

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