Book Title: Panchsangraha Part 03
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा २६
६५-६८ उपशम व क्षयोपशम भाव से प्राप्त गुणों का निर्देश ६६ चारित्र को पहले ग्रहण करने में हेतु क्षायिक भाव से प्राप्त गुणों का निर्देश
औदयिक भावजन्य जीव की अवस्थाओं का निर्देश गाथा २७
१८-१०१ पारिणामिक भावापेक्षा मूल कर्मों के सादि-आदि भंग उत्तर प्रकृतियों के सादि-आदि भंग
8 गाथा २८
१०१-१०६ प्रकृतियों के उदय में क्षयोपशमभाव की संभावना एवं १०२ तत्सम्बन्धी शंका-समाधान क्षयोपशम के दो अर्थ
१०५ गाथा २६
.१०६-१०८ रसस्पर्धकों के प्रकार
१०६ सर्वघाति और देशघाति प्रकृतियों के रसस्पर्धक १०७ गाथा ३०
१०८-११० औदयिक भाव के शुद्ध और क्षयोपशम भाव युक्त होने १०८
में हेतु गाथा ३१
११०-११२ . बंधापेक्षा प्रकृतियों में सम्भव रसस्पर्धक
११० गाथा ३२
११३-११४ रसस्थानक बंध के हेतुओं के प्रकार
११३ गाथा ३३ शुभ और अशुभ रस की उपमा
११५ रस की शक्ति का निरूपण
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