Book Title: Panchsangraha Part 03
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा ५५
१५२ १५६ ध्रुवसत्ताका प्रकृतियों के नाम एवं सत्ता विषयक १५२ प्रश्नोत्तर प्रकारान्तर से प्रकृतियों के वर्गीकरण की संज्ञाओं १५४ के नाम स्वानुदयबंधिनी आदि पदों के अर्थ
१५५ गाथा ५६
१५६-१५७ स्वानुदयबंधिनी आदि त्रिकगत प्रकृतियां
१५७ और उनको उन वर्गों में ग्रहण करने का कारण गाथा ५७, ५८
१५६-१६४ समकव्यवच्छिद्यमानबंधोदया प्रकृतियों के नाम और १६० मानने का कारण क्रमव्यवच्छिद्यमानबंधोदया प्रकृतियों के नाम और १६१ मानने का कारण उत्क्रमव्यवच्छिद्यमान बंधोदया प्रकृतियों के नाम व १६४
मानने का कारण गाथा ५६, ६०, ६१
१६५.१६६ निरन्तरबंधिनी प्रकृतियों के नाम व मानने में हेतु १६७ सान्तर-निरंतरबंधिनी प्रकृतियों के नाम और मानने १६७ में हेतु
सांतरबंधिनी प्रकृतियों के नाम और मानने में हेतु १६८ गाथा ६२
१६६-१७१ उदयबंधोकृष्टादि के लक्षण
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