Book Title: Panchsangraha Part 03
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 230
________________ to प्ररूपणा अधिकार : गाथा अनुक्रमणिका गाथांश गयचरमलोभ धुवबंधि घाइखओवसमेणं घोसाइनिबुवमो चउतिद्वाणरसाई चउरंसउसभआयव चउरंसउसभप रद्या चरिमसमयं मि दलिय जलरेहसम कसाए जाण न विसओ घाइ जो घाएइ सविसयं जा जं समेच्चहेडं तसबायर पज्जत्त दव्वं खेत्त कालो दुविहमिय संतकम्म दुविहाविवागओ पुण देवनिरयाउवे उब्विछक्क देस विघाइत्तणओ धुवबंधिणी उ तित्थगरनाम धुवबंध धुवोदय नयणेय रोहि केवल नाणस्स दंसणस्स य नाणावरण चउक्कं नाणंतराय आउग नाणंतरायदंसण नाणंत रायदंसण नाणंत रायदंसणच उक्क Jain Education International For Private & Personal Use Only १८६ गा. सं. पू. ५७/१५६ ४३।१३३ ३३।११५ २६।१०६ २२/८३ ६०।१६५ ६६।१७७ ५२।१४७ ४२।१३२ ४०१२६ ४६।१३८ ८१४३ ३७ १२५ ५५।१५२ ४५।१३७ ५६।१५६ ४४ । १२६ ५६।१६५ १४/६७ ४|१४ १३ १६१८१ ६७।१७७ १५।७० २ह८ २०१८२ www.jainelibrary.org

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