Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 311
________________ २५८ गाहा अन्य बंधु- संबंधि अन्नेसिं सत्ताणं अन्य जीवसुं अन्नपि भवे अन्नो जीवो अन्नं अन्यद् वपुरिदं ताव अपच्छिमम्मि ऊसासे (अस्या गाथायाः प्रथमचरणानुपलब्धे स्तृतीयचरणमिदम् ) अपडिण्णभावाओ अपमत्तस्स पवित्ती अपरक्कम काले मुणिणो 33 अपरिस्सावि आलोयणारिहं 'पइण्णयसुत्ताई भाग १ - २ 'गंथाणं गाहाणं अणुकमो गाईको 472 २६३८ २५६८ 478 736 2701 अप्पक्कता वराहेहिं अप्पक्कता वराहोऽयं अप्पक्खरा महत्था अपठ्ठे आउत्तरस आउत्तो अपsिहसोह अपडी-महड्डिय अप्पणिया खलु भो! अप्पाणं अप्पपरस्सममगणिय 33 अप्पपसंसं चयसू सप्पं "3 अप्पपसंसा पुरिसस्स अप्परजिए [हु] मणुओ अपरिसावी सम्मं... । चरित "3 अविसोही एसा ,, ... । सारक्खसु Jain Education International अप्पं च आउं इह माणवाणं अपंड-पाणिदेसे अप्पं पि भावसलं अपक्कं बहुओयं अप्पा उमणारुगं अप्पा ठिती सरीराणं अप्पाणं निंदतो २६१२ १९६५ 1441 २६५० 1826 ५१२ १८९६ १८९५ 2184 ४२७० ४२७६ 922 400, 2092 १७१७ 1217 115 1146 1147 पृ० ७४ टि० २९०५ 1119 2794 २०७३ 1326 ९७५, १४६६ ३४६ 1443 १६७३ १२५८ गाहा अप्पा नित्थरइ जहा अप्पारोही जहा बी अप्पाहीणा जाहे अप्पड्डिया उतारा अवभद्दकुंभो अवं आएसं अप्पेण बहुमेसेज्जा अफालिया जह रणे अभक्खाणं दिन्नं अन्भहियजायहरिसो अभंगसिणान्वहणाणि अभंगाई स अभंगेऊण तओ अभंतर - मज्झ बहिं अभंतरम्मतिगतो अन्तरंसि कुणिमं अभितर बाहिरिए तवम्मि सव्वे अभितर बाहिरियं अह "" 33 "" "" कुण सु अभितरं च तह बाहिरं अभितराहि णितो अब्भुज्जयं विहारं अभुट्ठाणं अंजलि अभतस्स वि कस्स वि अभिहस्स चंदजोगो अभिई छच्च मुहु अभिगतजीवा -ऽजीवा अभिजाइ सन्त- विक्कम अभिजिच्छच मुहुत्ते अभिती सवण घणिट्ठा अभिनंद मे हिri अभिनंदणं च अजियं अभिनंदणो य भरहे...। एग ,,...। दस 33 33 अभिभूय दुरभिगं अभिस्ति णव मुहुत्ता ४२५ 693 २७७०, 1578 ९०८ 1641 ९६१ ३३९८ ७५७, १०५७, १५६६ 2195 For Private & Personal Use Only गाईको 754 १८३७ ८२९ ९६ 484, 2035 1181 २०७० 57 475 487, 2038 1000 545A, 2580 ३७११ ३९७० ३४६५ ५०५ ३२९८ १०५, ३३०९ ४३८४ ७५२ १०५, ३३०९ ३२८० २३७६ ३८५१ ३८५८ ४०७० 1548 ३३९३, ३४७८ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427