Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 322
________________ गाहा उच्चार-खेल- पासवणउच्चारिउमसमत्थो उच्चारे पासवणे खेले सिंवाणए 33 39 उच्छायणं कुलाणं उच्छूढसरीरघरा उज्जमं सव्वथामे उज्जुत्ता महावी उज्यालो इत्ता उज्जेणि इत्थिमित्तो उज्जेणीनयरीए उज्जोयओ व सूरो उज्झइ परलोयभयं उज्झनियाणसलं उज्झायाणऽज्झयणं उज्झाया मंगलं मज्झ उज्झयजर मरणाणं उज्झनियाण सल्लो निसि पंचहि उज्झयरज्जे अहवा उज्झवर - विरोहा उज्झय सगणं अम्हे उडुसहितं अतिरिक्तं उड्डाहक थेरा तिरियो उडुमतिरि "" "3 " "" 33 " " در विय "" तिरियम्मिय मयाई बहु "" "" उत्तमकुल संपत्ति उत्तमरूव सुरूवा सिंघाण जल्ल "" Jain Education International मयाणि जीवेण बाल "" "" वसहि 33 ;" " * उड्डुं पायतला अहे केसग्गमस्थका को उहम्मि सिलावडे...।... अणु ...।... तह पढमं परिसि गाहंको 391, 2083 909 ३४२ 2220 ४२८२ ८६६ १२३५ २४१५ 2463 1563 २६९५ २६३५ १४१४, १५५८ २५३७ २७७९ 1624 2433 २५५० 1173 ३४१९ 1165 ३६७७ पृ० ८५ टि० १८०० २४६२ २८८८ "" १४८१ २८५९ ९८९ ७३ १७८० 1881 १२२७ 808 २७१४ ३६३९ गाद्दा उत्तमरूव सुरूव उत्तरअयणे हाणी उत्तरगुणाण पुण पिंड उत्तरमहायहऽक्खा उत्तरसाढा विसर उत्तणओ व पासेलओ उत्तिमदाणं दितो उद वूढो सो उदगस्स णालिगाए उदगं खलु नायव्वं उगे पेढालपु उदयगिरिमत्थयत्थं उदर सोहा उदओदियकुलवंसा * उद्धगामी जीवा उद्धरियसन्सलो आलोइय भत्तरि "" उद्धियनयणं खगमुहउप्पइओ वेगेणं उपणम्मि अणते केवल 39 ,, "" 55 उप्पण्णरयण विहवा उप्पाश्यपीडाण वि उप्पाडित्ता धीरा उप्पणीहि अवरे उप्पीलिया सरासण उब्वंधिया तरू उभरण वि अइयारा * उप्पतता उप्पतता उप्पयंतं उप्पन्नभत्तपाणे उप्पन्नाऽगुप्पन्ना उपपन्ने उवसग्गे 23 ३६७४ ४७८१ ३१२२ ४४७८ ४०२, ३१७० ४०३ ४६५७ ३६४७ 100 ३९३७ १९३७ 2530 2528 456 ३०३० ३०३८ हम्म...। तो देव- ३९६३ ...। राईए ४६३७ ४१२३ १९९४ ६७७ ९७२, १४६१ १२८० 1121 1230 "" उम्मग्गठिए सम्मग्गउम्मग्गठिओ एको उम्मग्गदेखणा मग्गदूसणं नाण दूसणा For Private & Personal Use Only २६९ गाईको ४५६२ ३५३६ 196 पृ० २७२ टि०१ ४३३९ ६१६ 453, 2145 2310 २९१२ २९१३ 719 ८१४ www.jainelibrary.org

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