Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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२८०
गाहा
कामकया इत्थिकया कामगाह विणिमुक्का कामदुहावरघेणू कामपि यग्गहिओ
कामभडदप्पदलणा
कामभुयगेण दट्ठा कामभोगाभिभूतपा
काममोहित चित्तेणं
काम विडंबनचुका कामसमद्धित्ता
कामं अकामकामी
कामाउरो नरो पुण माणग्गणं दुक्खं कामा मुसामुही तिक्खा
कामासतो न मुण कामु मत्तो कायव्वाई जाई कार्यदीनयरी
33 33
कारणमकारणं
कारावियाइं चेइय
कान्नामयजलही
कारुन्नामयनीसंद
कालण्णाण समासो
'पइण्णयसुत्ताई भाग १ - २ ' गंथाणं गाहाणं अणुक्कमो
गाहंको
गाहा
कालगाणाभिगमं कालत्तए विन मयं
कालन्नू देख्न्नू समयन्नू अतुरि
सील
"
""
35
कालपमाणं माणं कालश्चैव महाकालः कालरस चेव हाणी कालं अनंतपुग्गल कालानुसारओ पुण
कालियसुयहस गुणणं कालिय पिउत्तरकाली-सुकालियाओ काले अपहु ,, कालण्णाणं
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पृ० २७२ टि० १
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काले य महावी
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काले चैव हायति
काले महाकाले
,, विणए बहुमाणे ... । ... विणओ
...।... सुयनाण
"
" सुरूव पुण्णे कालो उ अणाईओ
"
परमनिरुद्धो काहामि गच्छवसभा ! किच्चे बहुवि किच्छाहि पाविजे
किच्छा हि पावियम्मि वि
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"
किन्हें नीलं काऊ
राहुवमा किण्डाइकम्मदव्वाण
किण्हा - नीला काऊ-तेऊ
"
""
"
""
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""
लोहिय कित्तियमेत्तं वण्णे १
"
"3
"
"
लेसाओ ति
लेसा झा
कित्तिया य विसाहा य कित्तियाहिं विसाहाहिं
किती गुणगन्भहरं
किन्नर किंपुरिसे खलु किन्हा हि-मोर सप्पा
किब्बिसिएसुं उववज्जिऊण * किमत्थं णत्थि लावण्णताए किमकुलसि
किमिणो व्व वणो किमिकुल
किमु दंतस्सरणेण १ किरणिवरेहिं भणियं
किसिपारासर ढंढो
किह ताव घरकुडीरी
नासिज अगीओ
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किं अम्ह पलाएणं १
" पसाएणं १
गाहंको
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