Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 400
________________ पढमं परिसिटुं ३४७ गाहा सारेयन्वो खवओ सावगजणमहुयरिपरिसावगमिहुणं समणो सावग-साविगहाणी सावजजोगविरई सावज्जजोगं णिहिलं सावणबहुलपडिवए दुपदा बालवसावत्थी जियसत्त सावा योगमुपधि सावयगणाण सम्म सावयभयाभिभूओ सावय ! मह पुण्णेहिं सावयसुयमच्छेणं सासणं जं नरिंदाओ सा सिवपुरि त्ति भणिया सासेइ गणं पि तओ साहम्मियवच्छल्लं साहवो गुरवो मज्झं , मंगलं मझ साहंति जं महत्थं साहामि तुम्ह नारय! साहारणो य दुविहो * साहियं च भगवया सव्वण्णुणा ___ मणिरहकुमारसाहुणा साहुत्तसुटिया जं साहुस्स नत्थि लोए साहू कयसलेहो साहूण णमोक्कार , णमोकारो कीरंतो अवहरेज " , , भावमेत्त " " जइ लब्भइ ,, साहुकिरियं ,, साहुचरियं , साहुणीण य " सुइविहारो साहूणं नोवकयं गाहंको | गाहा गाहको 766 साहू य मंगलं मझ १५५९ ४३९३ " , साहुणीओ 2565 ४३७८ साहूहिं संगम कुजा १९५२ ४४५७ साहें ति जे वि धम्म 2431 २५१६ सिक्खाहि ताव विणयं ४९९ १७६३ सिग्यवायिसमायुत्ते १८१६ ३५३४ सिझंति जे वि संपइ 2440 ३१९५ सिडकम्मो उ जो वेजो १७०० १२४९ * सिठ्ठयणे व्व आणच्चा अमुणी १६९४ 2713 सित्तुजम्मि चडतो ३१३४ २६३७ सिद्धत्तमणंताणि य 303 १३०६ सिद्ध त्ति य बुद्ध त्तिय ३०५ 2678 सिद्धत्थवणं व जहा ४६२२ 837 सिद्धत्थे पुण्णघोसे य ४६६२ २१०८ सिद्धसरणंबुधारा 254 2517 सिद्धसरणेण नवबंभ २५४५ 1157 सिद्धस्स सुहो रासी ३००, ४७९० 2751 सिद्धंतमणंताणि य 1982 2755 सिद्धंतवायणाए 320, 1999 १४१५ सिद्धाण णमोकारो जइ कीरइ 2450 1610 " " , लब्भइ 2449 ३०३६ " " करेमु 2439 1424 " " तम्हा 2451 २६३३ 2189 सिद्धाणाऽऽयरियाणं 2293 २५५५ सिद्धा य मंगलं मज्झ १४१२, १५५६ २९५३ सिद्धिवहुसंगकीला २४८५ १०७४ सिद्धे उवसंपजे पृ० ८६ टि. 2478 " उवसंपण्णो १५६० 2486 , उवसंपन्नो १०५२ 2487 सिद्धेभ्यश्च नमस्कार 2709 2485 सियकमल-कलस-सुत्थिय २३६५ २६३६ सियसुप्पसण्णवयणा 1248 २५७२ सिया पावं सई कुजा २०४५ १४१७ , [...] , २०४६ 1039 सिरछिन्ना के वि कया 454, 2146 ८२५ । सिरिचंदे दढकेत्ते(कित्ती) ४६६४ " सिद्धभावं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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