Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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३५२
गाहा
सोलसमे विव
सोलसयं सुमइस्स उ सोलसरुप्पियमासा
सोलस रोगायंका
सोलसवासा मणुया
महिला
""
सोलस साहस्सीओ पास
साहस्सीतो नरवर
"
सोलसहि सहस्से हिं
सो वार
""
"3
33
29 33 33
33
सोविय पागडतं सागरगंभीरो
सिक्खिउं पयन्तो
सीहचंद मुणिवर
सुम्मओ ति भण्णइ सुविहियपंचिंदिय
सोहग्ग-जाइ-कुल-रूवसोहम्मा दुवाल - सोहम्मीसाणेसुं सोहम्मे ईसा
उववातो
"
सोहिय संववहारो
सोही उज्जयभूयस्स
"
""
'पइण्णयसुत्ताई भाग १ - २ 'गंथाणं गाहाणं अणुकमो
गाहंको
463, 2155
३९९५
३१६०
११६०
४४८७
४४८९
४०३५
४१३९
२२६
१२६०
४२६६
४२५६
४३०६
४३७२
४२९३
१२६३
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वि य चोपुव्वी...। देज
...। सुत
शीलव्रतसनाथेभ्यः श्रीप्रभ श्रीधरौ देवौ श्रुतं बिभ्रति ये स
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श
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हकारे मकारे
हट्ठस्स अणवगलस्स ह करेतीह णिरुज्झमाणो हणिउं विसय-कसाए हतो दुरुक्तश्च मया
2416
पृ० ७९ टि०
1615
404, 2096
२००
१९५
४३९९
४६४३
१४६३
2712
पृ० २७२ टि० १
2711
३६२९
३९४
२०११
240
2693
गाहा
हत्थाइ पंच रिक्खा
हत्थाबाहु सन्ना इत्थणपुर कुरुदत्तो
हत्थी छव्विरथीओ
हत्थुत्तराहि भगवं
हत्थे होति पढमा
हयगब्भवास - जम्मण
-- वरजोहतो
हयहिं सिय-गयगज्जिय
हरइ दुहं, कुणइ सुहं हरसि रयं जंतूणं
हरि करि करहा वसहा
हरिचंदणाणुलित्ते
हरिण - हरि-वग्घ-चित्तय
हरियालियाए पढमं
हरिवरकुल नंदिकरो हरिवरसाई खेत्ता
हरिवंस कुलुप्पत्ती हरि सि तुमं कमलालय ! हरिसियमा सुरिंदा हलकरिणकम्मत्ता
हल - दंताळ - मईए Tas विवरीय धो
हवति महाअडडंगं
," महापउमं चिय हसितेहि पिएहि य हसिया व तजिया वा तूण मोहजाल राग-दोस
""
""
,, - दोसे
सव्वमाणं
""
हंदि | अणिचा सद्धा
धणियं पि धीरा
33
हंदी परीसहचमू
हा ! असुइसमुप्पन्नया य
" जह मोहियमइणा हायंति जस्स जोगा
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गाहंको
६८७
३२१७
1681
३६२८
४६०५
३३८८
१३५७
४५६१
३७८०
901
२५१२
284, 1963
३७८९
381, 2073
३७०८
४१०६
३५९६
४४३०
२५११
३७२७
४५५६
289, 1968
७१७
३२१५
३२१२
४४५६
442, 2134, 2573 १००५, १५०६
२८६९
पृ० ८६ टि०
५३१
९०६
६३८
889
४३०
१३४०
२३८२
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