Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 402
________________ गाहा " , ...1 पंडितं ३१३ सु च्चिय सूरो, सो घेव सुज्झइ दुक्करकारी सुट्ठयरं जेसिं पुण सुदु वि आवइपत्ता , जियासु सुङ वि ""मग्गिजंतो सुण जह जिणवयणामय", पच्छिमकाले "ताव सूरपण्णत्ति, धीर ! को वि सुहडो , वागरणावलियं " सोम ! अणन्नमणो सुणह गणिए दस दसा " सुयसारनिहसं सुत्त-ऽत्थ-तदुभयविऊ सुत्त-ऽत्थथिरीकरणं सुत्तत्थाणं दोण्ह वि सुत्तमेचगति चेव सुत्तस्स होइ अत्थो सुदंसणा अमोहा य सुद्धम्मि य सोहणगे सुद्धस्स चउत्थीयं , य दसमीए सुद्धं सुसाहुमगं सुद्धे सम्मत्ते अविरओ सुद्धो बहुलो सुद्धा सुनिउणनिजामगविरहियस्स सुनिउणमणहमणग्धं सुन्नहरे पडिमाओ सुपइठियचलणाओ सुपसत्यदिसाभिमुहो सुपसत्यपुत्थयाई सुप्पइण्णं सपेहाए सुप्पियं तणयं भद्दा सुबहुस्सुओ वि जो खलु सुबहुस्सुयं पि पुरिसं सुबहुस्सुया वि संता पढमं परिसिट्ठ ३४९ गाईको | गाहा गाईको 646 सुबहुं पि भावसलं १४६५ १०३४, १५३५ सुबहुं(सुहुमं) पि भावसल्लं ९१४ ३८०२ सुबहूहिं केवलीहि य ४६४९ 779 सुभावभावितप्पाणो २०२८ २७५६, 1501 सुभासियाए भासाए...। पजण्णे १९४९ २७८३, 1633 १९४७ १४१० सुमइत्थ निच्चभत्तेणं ३९४१ ७६० सुमई य भरहवासे...। भरहे ३८९२ ३१४३ सुमणे समणे वंदिज 1905 777 सुमती य भरहवासे...। एग- ३८५९ " " " ... दस ४०७१ 2170 सुमंगले अत्थसिद्धे य ४६६३ सुयणाणसागराओ ७५१ सुयदिठिवायकहियं १२७० 1809 सुयदेवयाए जा वि य 2295 1037 सुय-धम्म-संघ-साहुसु २५६७ 2201 सुयनाण केवलीणं 716 १६४४ सुयनाणीहिं भणिओ ३०४५ 2470 सुयभत्तीइ समग्गा 1782 १८१ सुयभावणाइ नाणं 1060 ३४८५ सुयसागरपारगया 790 ३३८४ सुयाणि भित्तिए चित्तं १६१३ ३३८७ सुरगणइड्डि समगा ३०७ २९१५ सुरगणसुहं समग्गं २९८, ४७८९ २७०६, 1391 सुरगहियकलसमुहनिग्गएण ३७७४ ३९५६ सुर-नररिद्धी नियकिंकरि 623 सुर-मणुय-तिरिच्छकया 674 1007 सुरराय-फणाहिव-चक्कवट्टि 645 818 सुरलोगम्मि सुरा वि हु 869 ४७२६ सुरसामित्तं सुलह 520 सुरूवा रूवावई 338, 2017 सूरेण जं किर जुगं ३२०४ १६१९ सुलहा लोए आयट 1214 सुविभत्तवित्तमंसू ४७२१ ५५२ सुविहि जिणे वाराहो ३९९७ सुविहिय ! अईयकाले ११३४, २४४७ , इमं पइण्णं ७७० 58 744 २२६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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