Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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गाहा
* जुत्तं अजुत्तजोगं ण पमाणजुत्तोपमाणरइओ जुयलसिला संथारे जुवण-जीविय-रूवं जे अहिर
अंगाणं गगयं
35
33
35
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33
35
,, कडुयदुमुप्पन्ना
कम्मखयडाए
33
कंस-संख-ताडण
के तित्थसिद्धा
"
अंता ते मज्झा
आसी मेहावी
इमं पावकं कम्म
उत्तरेण इंदा
" "
देवदू
विम सत्ता
गिद्धे कामभोगे
""
. वेव जम्मरिक्खा
"
33
""
* जे खलु आरिया पावेहिं कम्मे हिं
जे गरुयकम्मजीवा
""
" नणा आरिया णिचं
Sणारिए "
चोलक - उवणयणेसु वा वि
"" ""
जत्थ केइ खेत्ते
सिद्धा
22 "3
,,
,, नहभणिए अत्थे
जाण जाणं वा जेण जिया अट्ठ मया
33
जे जीवणहेतुं पूणा जे नलिणिकुमारं
जेण इहं मणुयाणं
33
""
इ उवा जाणामि अप्पाणं
बंध च मोक्खं च
33
जे गरे कुव्वती पावं
ण लुभति कामेहिं
गाको
१७१६
१०९९, 1328
११९५
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पढमं परिसि
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२०४३
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१९६४
१६१२
१७५८
२०४४
2
जेण विरागो जाय...।... अनंत
२९२६
2633
१०४५, १५४६
गाहा
33
""
"3
जेणंतनाण- दंसण
जेणंतरेण निमिसंति जेणाभिभूतो नहती तु धम्मं
जे ताव संभरिजा
"
"
33
33
,, पयणुभत्त-पाणा
,, पुण अडमईया
" "
" "
33 33
तिगारवजढा
33 33
,,,, वट्टविमाणा
23
,,,, सुयसंपन्ना " पुमं कुरुते पावं
,,
ते देवेहिं कया
दंसणवावन्ना
दाहिणाण इंदा
न विरुति इह
"
""
भवि कमलपडिबोहणम्मि
33
" भिक्खु सखेयमागए
जेऽभिदति भावेणं जे भूय-भविस्स भवंति जे मुद्धजणं परिखंचयंति मेजाति जिणा
33
२९७
गाहको
...... इत्थ इला- १२३३
249
४७८
२०१०
206, 2541
गुरुपडिणीया छजीववहं जिणोवइट्ठे
33 33
पेच्छसि घरणिहरे
भववई देवा
""
य अकिद अनीला
अगस्य अलहुए अतित्त अकडुया
35 33
" " अरूव अगंधा
उगाई तहा
" "
,,,, न अकिचिजण
, लक्खण - सुमिण - पहेलियाओ
, लुब्भंति कामेसु
""
वंदनाइ अरिहंत
वि उ जहण्णियं तेङ
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