Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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गाहा
* जाओ चिय इमाओ इत्थियाओ जाओ जलग्मि, निहओ
धरणीए तुमं
परव्वसेणं रणवेयर
"
35
"
जा काइ कया माया
पत्थणाओ
33 33
किया
33
जागरह णरा णिचं जागरमाणस्स
मा भे
33
"" ""
जागरंतं मुणि वीरं
नागरिया धम्मणं
ना जया सहजा जा वा
जिणवर दिवाणं
""
जाजीवं पच्चक्खर जाइ फायद
विमाण भए
बाणविमाणारूढा
जाणइ य मज्झ थामं
जाणतस्वाऽऽयहियं
जाणता विविय
नाति बंध- मोक्खं
जाणते विजइणा जाणतो वि य कम्मोदपण
जाणा सीयलाओ
बाजा सरणं धीरो
जा तरस खमा तइया
जातं जातं तु वीरियं
तु सुहविहारं
33
जातीस उभयवं जा दिविदाणमित्
जा पुव्वभाविया किर
जाम जाम दिन पक्ख
जा मे वरपरंपर
जा य उप्पाइया भासा जायमाणस्स जं दुक्खं
गाहंको
४६५
2396
2397
११२४
३५७१
2247
१००४, १५०५, पृ० ८६ टि०
403, 2095
१९९२
१९९०
१९९३
1640
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पढमं परिसि
१८२८
४७५२
559
61
४५७८
४५७७
1281
1013
५०४
५५८
६५९
771
४०४८
२०३३
११८४
२१२५
४५३१
४५९०
984
९२१
२८८६
२६२२
७३७
३५०
गाहा
नायमित्तस्स जंतुस्स नाम महाप
जायं पंकम्मि जलम्मि जयावहारिणीए
जारि जिते कम्मं
""
वुप्ते बीयं asi किंचिदुहं
जावइयाई दुक्खाई जावयाओ रिद्धीओ
जावया किर दोसा जावज्जीवपणा
जावज्जीवं तिविहं
* जावता व जम्मं तावता
*
"" "
जावसिए परिहायति
जाव न मुचामि लहुं
"" "3
""
"3
""
""
33
"
य उभजिणिंदो
खेम - सुभिक्खं
जंबुद्दीवो
""
33 33
लोसणा तावता
33
"
वाया अक्खिवर
" " " " "
जावंति के ठाणा
पउमजिनिंदो
सुई न नासइ... | नाव
...। सद्धा
33
जा सव्वसुंदरंगी
जाहे पुर्ण उवसग्गा
य पावियव्वं
3, दुक्खा
सव्वेहिं कया हो पत्तो
""
जिो चउदसवी जिणकप्पिओ उरालो जिण गण हर-चक्की
जिणचंदाण भगवओ जिण जणणीओ थोडं
जिणजम्माइसु ऊसव
दास गोणा
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२९५
गाहंको
३५७
४५८३
1574
2326
१९३०
१९२९
११५३
२७३३, 1445
1783
२७४७, 1477
967
२६८२, 1360
१६५७
१७०४
३२४९
२६०२
1831
४०६३
९०४
५२
४६९५
1042
९०३
९४१
२४५०
1553
1841
१३८०, ४७४७
३७८६
१०३८, १५३८
१२०९
1861
788
३६८३
३६८२ 308, 1987
834
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