Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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गाहा
नित्यमेव सुधीः साम्यनिद्दलिय कलस कम्मो निद्दलिय दोसरिउणो निद्द जिणाहि निचं निद्दातमस्स रिसो
निद्धन्नयं च खलयं निद्धमहुरं गभीरं
निद्धं महुरं गहिरं
93 39
33 33
33 33
गाईको
2718
२५५९
943
1638
1639
४७७
1109
112
पल्हायणिज्ज २७९६, 1660
हिययंगमंच आहरण
1221
1333
1210
३६५६
271
833
१३४३
473
७४१
७४४
७४२
१२२६
१०९२
२७८, ४७६९
२४१०
270
1202
1866
३१०२
२६७०
322, 2001
2020
341
1517
933
""
33 93 39
"3
निर्द्धिषणपज लियं निन्नासियमिच्छत्तो
निप्फेडियमुणिसल्लो
निन्भच्छणाऽवमाणण
च पहायणिजत्थं पल्हायणिजमण
निन्भच्छिया य तजिय
निमित्ते कित्ति नस्थि
निमित्ते [अ]पसत्येसु
सत्ये
"
निम्मम निरहंकारी एगागी
निरासया
"" ""
निम्मलदगरयवण्णा
निम्म निरहंकारा निम्महिपावकम्मो
निम्महिय मोहजोहं समच्छरं
सावरणं
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"
33
निम्मायम्मिय लोए नियदव्वमउव्वनिणिंदनियमाऽभिगहगहणं
निययअवचाणं
नियsaच्चाईयाणं
नियसीलरक्खयाणं नियसुचरियगुणमाहप्प * निराकारप्रत्याख्यानसूत्रं निव्वत्ची वीरियं चेब निव्वाणसुहाभिमु
पढमं परिसि
545B
१६६६
44
३१७
गाको
२६९६
962
1220
224
११०३
निसिरिता अप्पाणं निस्सलस्सेह महव्वयाइं ... । ... नियाणमा - 1612
... । ... नियाणस - २७७४
गाहा
निव्वाणसुहावाए निव्वाणस्य सारो
निव्वाण य तओ निसिभोयणपते
""
निस्सल सेह निस्सकिय निकंखिय निस्संगो चेव सया
निस्संधिणातणम्मि (१) व
निहण हण गिव्ह दह पय निहयजर - मरण- जम्मो
निंदा -पओस- हीला
निंदामि निंदणिजं ... । ... जिणे हिं
...।... सभितर
"
35
य गरिहामि य
""
नी यंग माहिं सुपओहराहिं नीयावित्ति विणीयं
नीलो कयसोही
नेगाई सहस्साई
नेरइय-देव-तित्थंकरा
नेरइयाई जीवा
रयाणं मज्झे
सप्प पंडु पिंगल रयण
55
23 35
सप्पम्मि निवेसा नेहक्ख व दीवो
नो सरसि कहं छित्ता
न्हावे
विहिणा
""
33
सव्वरयण
पडणमणवजमणुवमउणो वणो सल्लो पउमभस्स तु रती
पउमप्पभो य भरहे...। एग
" ...। दस
" ,, ...] भरइ
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180, 1022, 2545
1605
प
१०९७
११४४
269
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२८४४
२७५५, 1500
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४१३७
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408, 2100
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