Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 382
________________ गाहा पढमं परिसिटुं गाईको । गाहा गाहको भरहेरवयविदिहे 491 , दुलहे ९५४, 685 भरहे वीरजिणिंदो ३८७८ भवसंसारसुमुद्दे पृ० ८५ टि. , सेजंसजिणो...। एग ३८६५ भवसंसारे सव्वे १४९१ , , ...। दस ४०७५ * भवितव्वं खलु भो ! सव्वलेवोवरतेणं १५९७ भरहो बाहुबली वि य 1134 भवे भवे य जे आसि 2743 " सगरो मघवं ४१११ " " , जं , कलत्तं 2744 भलंकीइ अकरुणं 1674 """, " मित्त 2745 भवइ य मायामोसं 532 भव्वाण भवसमुद्दे 2434 भवगहणभमणरीणा २६४१, 1921 , सिद्धिवहुसंगमम्मि 1371 भवचरिमं पच्चक्खामि 543A,2578 , सिद्धिहेउं 2183 भवजलहिजाणवत्तं 485, 2036 भंग-तासविरहितो...। दुभिक्ख- ४४२६ भवणवइवाणमंतर जोइसवासी ...। परचक्क ४५८७ विमाण...। इसि ३०९ भंजतो सीलवयं 2221 जोइसवासीठिई भंजिय परीसहच, २३७४ जोइसवासी भंडकरंडसमाणं -552 विमाण...। धरणि- ४५१० भारद्दायसगुत्ते ४३५९ जोइसवासी भारंड-मोर-कोइल 383, 2075 विमाण...। भालंकीए करुणं २७९९ सव्विइडीए ३९६४ भावण समिइ परिसह 741 जोइसवासी भावनमुक्कारविवजियाई २७१८, 1402 विमाण... सव्विड्डीपरि- ३०८ भावाणुराय-पेम्मा २७०३,1388 जोइस वेमा- 2664 भाविज भावणाओ १३८९ जोइसिया...काय- १९०९ भावेइ भावियप्पा अणिच्च १४२४ " ...सत्त- १९४ , ,, विसेसओ 1749 भवणवईणं मझे 461, 2153 भावेण अणन्नमणा ५८९ भवणबती जोइसिया ३९८० , अणुदिणं चिय 2196 भवण-विमाणवईणं ४३. भावे सम-विसमाथे 1886 भवणं भवणाओ, वणं 1710 भावेहि भावणाओ 2674 भासच्छण्णो जहा वही भवणाओ निग्गओ सो १७४७ ४३२२ भासित्तु वा न दिन्नं 477 भवणेहि उववणेहि य १३२६ भासुरसुवन्नसुंदर २५६३ भवणोरोह विमुक्को ४३२१ भिक्खाचरणमत्ताणं ६९५ भवदुहमूलं मिच्छं 2166 भिक्खा-दत्तिपमाणं 1072 भवबीयं कुरभूयं २४७७ भिणिभिणिमिणतसइं ४५७ भवभयमगणतेणं 429, 2121 भिनिंदियपंचिंदिय ११३३ भवसयसहस्सजणियं 1369 भिसगो मल्लिजिणिंदे ४००२ भवसयसहस्सदुलहं 1939 | भिंगंग-रुइल-कजल २१६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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