Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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गाहा
"
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RRRRRRRRRRRRAAAAA
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"
"
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"3
,, कालागरु-कंदुरुय
"
,, कूडसामली सिहर
कोह -माण- मायागामाSSगर-नगरा
" घत्तह काउं जे
""
" चक्क बालदसविह
"
"
अन्नजंभगाई अप्पणी कुलस्स य अंबाईपरमाहम्मियआयरिओ वि अणुज्जयस्स इथीए भए
इत्थी - पुमजोए उग्गपरीसह संकडम्मि
""
उत्तम काले
उत्तरेण पक्खं
उवदंस निमंतण
""
35
"
चकवालसा मारियाए
चैव तप्पमाणो
नो कसाया
33
'जावण' नाणवुत्तं (? जुतं )
as
तेइंदियभावं
ते काइयाणं
धन्न - सालिभद्दा
नारय - तिरियते परतित्थियकीडा
""
" पावद्वाणाणं
तह पावठाणचायं
पात्थाई वा
13
,, बारसण्ह करणं
बारसविकरणं
"3
बिडिस- जाल-वग्गुर
मज्झिमम राहण
"
,, मणुयलोयचाहिं
अवायविन
22
असंवि
" "
,,,, अहालिंदीणं
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पढमं परिसि
गाईंको
401, 2093
1684
399, 2091
1212
2084
392
971
११६१
११७२
505
३६९३
353, 2045
2277
285, 1964
६६३
318, 1997
136
1692
21
१२४६
४७३८
416, 2108
412, 2104
११९४
842
१४०७
7
558
47
326
2005
298, 1977
916
386, 2078
८३६
64
499
गाहा
""
रज्जतलारत्तं तहला लियस्स तहपालियस्स
तह वरखुडुगोवि
वि असंथरमाणे
33
"
""
در
"
""
"
33
""
सूरो तहमाणी
होह अप्पमत्ता
"3
तहा बालो दुही वत्युं
तं अज्जकालिय जिणो
"3
"
"
,, अब्भुजयमरणं
,, उज्जुभावपरिणओ
एव जाणमाणो
"
23
""
एवमंगवंसो
33
* तं एवं अद्धत्तेवीसं तंदुलवा हे
तं एवं जाणतो
23
सम्मत्तधराणं
सयणखामण संघ
सयलसमण संघस्स
" एस जिणिदाणं
* तं कहमिति ? मणुष्णेसु
तं च किर रूवतं
सं लिहितस्स वि
तं चिय परिहियवत्थं
सावगोवि सम्म
सिसाई
सीयलेण तह मउयएण
सुकरणो महेसी
32
समइरेगं
"
"
,, जइ इच्छसि गंतुं
33 "
,, जाण नाण- दंसण
वय अयणे उत्तरम्मि
ताव न मुच्चइ
जिणवरवयणपसत्थ
णत्थि किंपि ठाणं
तारिसगं रयणं
तित्थ तुमे लद्धं
तुभे विसपरियणा
ते अप्पडिसन्ति
"
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३०३
गाईंको
445, 2137
2376
807
85
182
6
2548
25
154
496
पृ० ७४ टि०
७९२
644
134
१७४४
४२६८
२६४८
८५८
४२७३
४३४५
३९१
८०७
2769
१७५३
४६१
४३३२
३४६९
५३
९५१
१३१७
939
1029
2394
१२९४
२३७२
३७३८
२५०१
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