Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 361
________________ ३०८ 'पइण्णयसुत्ताई भाग १-२'गंथाणं गाहाणं अणुकमो गाहा गाईको । गाहा गाईको , वि संतुट्ठो योवत्योवं संजमथोवं बहुं व कत्थइ थोवा विमाणवासी 1430 2232 २१९ ३७३९ ३७४७ ३७८४ ३७९१ 912 1766 ३३० ३७४९ ८७४ ३७८२ 1357 ३४४२ ६३९ , ते सुरवरवसभा ", हरिसियमणसा "दुग्ग(व्वा)-सिद्धत्थग, देव-दाणविंदा , निजामयगुरुणो , पडिचरया खवगस्स * तो पढमे मासे करिसूणं पलं तो पणमिउंजिणिंदे परियागं च बलं पहयमेरि-झल्लरि, पागएण परिभावियस्स , पुव्वं तु मइमया " बालजिणवरिंदे ,, भावणाहिं भाविय , मरुदेवाईणं वदिऊण पाए ,, वेयणाभिभूओ , सव्वभावसुद्धो सीलगुणसमग्गो , सेसाई वयाई ,, सो अइसुकुमालो ",एवंभणिओ ""गुरुवयणेणं ""नमंतसिरसंबडंतहरिसगमारगिरा ३७५२ 1741 ३७९९ ४२९७ 1655 ६४७ १०८० 233 १२२० 1266 1365 २६८६ ३७२५ दक्खिणअयणे लग्गं दक्खिपुब्वेण रयणकूडा २१४१ दक्षिणमयणे विसुवेसु ३४४३ , सूरो ३४४१ दक्विणवड्डी दुपदाउ ३५३३ दक्खिन्न-दयालुत्तं 311, 1990 दटुं सिणेहकरणं ३६१५ दट्टण पदीवसिहं 2358 , रिद्धिपूर्य 2208 , वि अप्पसुह १३९१ दढघडियचउद्दारं 985 दढचारित्तं मुतं २९७७ दढधणु दसधणुगो वि य ४५४९ दढमूलमहाणम्मि वि ८९७ दढसुप्पो सूलहओ 1419 दत्तो वि महाराया ४२३६ दरहसिय-जंपिएहि य 1564 दरियरिवुमाणमहणा ४१३८ * दव्वओ खेतओ कालओ भावओ ___ जहाथाम २०५४ दव्वओ खेत्तओ चेव १८५२ दव्वतो खित्ततो चेव १६९१ दवट्ठयाए निच्चो ३५४९ दव्वं खित्तं कालं 1206 दवाइं अणेगाई 1758 दबाईसु सुभेसुं 167 दवे खेत्ते य काले य २०४२ दव्वेहिं पजवेहि य ९५५ दस कोडाकोडीओ ३५५५ दसकोडि[सय] सहस्साई ४०४१ , सहस्साई २२३६ ४९३ ३४० थद्धो विणयविहूणो थिरजायं पि हु रक्खइ थिररासिविलग्गेसु थिरहिययमउयहियए थुइवंदणमरिहंता थूभाण होंति पुरओ थूलं पाणऽइवायं थेरस्स तवस्सिस्स व थेरस्स तवस्सिस्स वि थेवेण अवच्चामेलिएण ७२८ २२११ २५३० २३१८ 2562 २९४७ 1136 पृ. ७४ टि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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