Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 349
________________ २९६ गाहा बिदुम- सुहम्म- चेइय जिणदेवछंदओ जिण जिणधम्मो मह माया जिणपडिमाणं सतरस जिणपडिरूवं विरिया जिण-पवयण साहूणं जिण भणिय मुक्खसाहणजिण भणियम्मि पयत्थे जिण भत्तिहरिखियाओ जिणभवणपाडणं बिंबजिणमयभावियचित्तो जिणमयमयरहरुप्पण्ण जिणवयण निच्छियमई जिणवयण मणुगम जिवयण मणुगया मे जिवण मि जिवयण मट्ठा 'पइण्णयसुत्तारं भाग १-२' गंथाणं गाहाणं अणुक्कमो गार्हो गाहा जिणवयणमप्पमेयं... 1... संसार जिणवयणमप्पमेयं...। साहिंती जिणवयणममयभूयं जिणवण सुइपवित्तं जिणवयण पहावा जिणवणं दिपतं जिणवयणामय सुहपाणएण जिणवयणे अणुरता जिणवर - गणहर- मुणिवर विरमगुणवत्ता जिण सासणभत्तिगतो सासण जिनसा सणस्स सारो जिणसासणे कुसलता जिण - सिद्ध-केवलीण " "" "" " गणहरिंद - माझ्याण "" ,, - सूरि-उवझाय-मुणि Jain Education International २३२९ २३२५ 2272 160 1004 2767 199 2774 ३६७८ 279, 1958 १४०९ 1915 २४१२ १०३९, १५३९ १०३७, १५३७, पृ० ८६ टि० १२६७ १२७१ 91 १०२२, १५२३ 1688 936 1201 2456 1197 २८५६ 2171 ४६२८ ४७५५ ५३५ 2177 ४७६१ 2759 2788 503 1980 "" " ,, - सूरि- वायगाणं जित्ता मणं कसाए या जिनधर्मो मम माता जिन - सिद्ध-सूरि-देशक जियनिद्दा तलिच्छा जियराओ जियदोसो जियलोगअणिच्चत्तं जियलोयबंधुणो कुइ जीवम्मि तुम जाओ जीववहो अप्प हो * जीवस्स णं भंते! गब्भगयस्स जीवंजीव - कविंजल जीवंतो परिभुंजइ * "" 23 - सिद्धायरियाणं 33 33 जीवादीण जहत्थं जीवितं यौवनं लक्ष्मी जीविदा दितो ल जीवे जिणपन्नत्ते जीवेण य तं जाओ "> * जीवे णं भंते! गब्भगए... उत्ता * * * 33 33 "" "" " "" ,, - साहु "3 33 55 55 जीवेसु मित्तचिंता जीवो अप्पोवघाताय " " "3 For Private & Personal Use Only तवधुराए " "" "" ,, बंभा, जीवम्मि जीहाए विलिहतो जुगभजितं जं से जुज्जए कम्मुणा जेणं हिं खंडिएहि य जुत्तस्स उत्तम ... । भण केरिसं ...I के रिसो " " गाहंको 2724 2547 278, 1957 १९२४ 2706 पृ० ४०८ 1339 1735 पृ० ८६ टि० २५४६ 2398 २७३२, 1440 ३३१ 384, 2076 ३१२५ 941 2697 २१२६ ३१२४ ३१२९ 2399 ३३९ ३३३ ३३८ ३३७ ३३२ 1733 १८९८ 1474 २९००, 1213 ३५२६ १८३८ 1002 २३९५ २३९४, पृ० ८८ टि० 1334 ... किमाहारं . देवे ,, पहू " नरएसु www.jainelibrary.org

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