Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 352
________________ गाहको 241 248 ८३१ २३६० 1760 ४१७१ 2505 २६६२ 4 75 785 पढमं परिसिढें गाहा गाईको | गाहा " , मेहुणभावो 2779 जोयणगणणारहिया ३२९७ झाइत्तु सुक्कसाणं जोयणमद्धं तत्तो झाण-तवमुग्गरेणं जोयणवित्थिण्णो खलु ३५५२ झाणविसेसो लेसा जोयणसयमायामा २१६५ झाणाण परमसुक्कं जोयणसयं असीयं ३३४० झायह जमेगदन्वं जोयणसयाणि छ स्सत्त 1175 झिझंति य पासंडा जोयणसहस्समेगं ३२ झीणविहवो मणुस्सो जोयणसहस्सिया णं २२६३ झोसेइ णपुंसतं जोयणसाहस्सीया एए......दिसा- २२६८ " महासत्तो " "......विजु- २२७१ " रुयगवरे २२६१ ठविए पायच्छित्ते जो य परिगाहभावो 2780 ठाणवसही पसत्था " ,, विमाणुस्सेहो ठाणं पुण केरिसयं , राग-दोसरहिओ २३८७ ठाणा चलिहिइ मेरू , रागाईण वसे 702 ठावेऊण गणहरं , वयणवणदवगी 2222 ..ठिइबंधस्स सिणेहो , वाससयं जीवह , विणओ तं नाणं डज्झइ पंचमवेगे , विसहइ बावीस ६२८ डझतेण वि गिम्हे जोव्वणसिद्धा बाला 2446 डंडं जुगं धणु णालिगं जोव्वणं रूवसंपत्ति १८१९ डंभकप्पं कत्तिसमं जो सगिहं तु पलितं 120 डाहो भयं हुतासातो , सबरं पि , 1114 जो समो सव्वभूएसु ४७४९ , सम्मं भूयाई णक्खत्तअद्धमासे १३७४ णखत्त-चंदजोगे , संखिजभवहिह २३९७ , संजओ वि एयासु " -चंद-सूराण 720 ऽहावीस संथारोवहिपविगिचण 1216 परीमाणं , साइयारचरणो २६६६ , -सूरजोगो ,, सियवायं निंदति ,, -सूर-ससिणो " , भासति ४४१२ णक्खत्तो खलु मासो , सिवसुहमवगणिउं 709 णच्चाण आतुरं लोगं ,, सो सेणियराया ४५७३ णऽण्णस्स वयणाऽचोरे ज्ञानाचारोऽष्टधा प्रोक्तो 2680 णत्थण-वाहण-बंधण 107 1870 ३७० 1485 २४६९ ३२२२ २०४० १८०४ ३३७८ ३३१८ ३२९३ ३२७० ३१४५ ३३१९ ३४११ ३१९९ १९६७ १६२४ 2412 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427