Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 337
________________ २८४ 'पदण्णयसुत्ताइ भाग १-२'गंथाणं गाहाणं अणुक्कमो गाहा गाहको ४५०१ 793 ६९१ , कुयारि , गणणाईया समणा गणसंकमणं काउं गणसंगहर्ण कुन्जा गणहरं " , गणहरे " " सेह गणसंगहुवग्गहरक्खणे गणहरगुणसंपन्नं गणहरसंखा भणिया गणिगोयम! जा उचियं गणिमेण य धरिमेण य गणियस्स य उप्पत्ती * गतिवागरणगंथातो पमिति गद्दभ रामे य तहा गन्मघरयम्मि जीवो गन्भट्ठियतिन्नाणा गय उसम सीह अभिसेय गय-करह-तुरग-वसभा गय-करह-तुरग-वेसर गय-गवय-खग्ग-गंडयगयपुर-कुरुदत्तसुओ गयराग-दोस-मोहो गयरागो होऊणं गय वसह सीह अभिसेय गयसुकुमालमहेसी गरहित्ता अप्पाणं गरंता मदिरा वा वि गरुलिंद वेणुदेवो गलुच्छिन्ना असोते वा गहणे निखेव विवेगे गहदिणाउ मुहुत्तो गहिऊण य मुक्काई गहियजिणिंदो एको गंगाए वालुयं जो " , सायरे , वेगेणं गंगावत्तपयाहिण गाईको गाहा 2059 गंगा सिंधू य नदी गंगासोणुवसगं 1247 गुंतुं पि न चाएंति गंतण जोयणं जोयणं ७४३ गंतूणं वगसंडा ७०४ गंथचाओ इंदिय113 , लाघव 106 गंथनिमित्तं कुद्धो ४००५ गंथेसु षडियहियओ २९९५ गंथो भयं नराणं गंधव-नट्ट-हय-गय-तिल४६७४ " " ""-मल१९३९ गंधं घाणमुवादाय पृ० १७९ गा० ४ गंभीर-निद्धघोसा ३५२ गंभीरममयसुहयं 237 गंभीरमेरुसारे वि ४५६७,४५७० गंभीरं सवओभई सव्व 2074 382 गंभीरो वि तवोरासी १३०७ गाढप्पहारविद्धो १२४२ गाढप्पहारसताविया 1887 गाम-कुलाइसु ममया ३०६० गाम-नगराऽऽगराई २५२३ गामनगराऽऽगराणं ११८१ गामा मसाणभूता १०८७ गामा [य] नगरभूया १७९९ गायइ नच्च वाय " वायइ नच्चइ २०५७ गारवपंकनिबुड्डा 999 गावीए उवसगा गावी-सुवष्णदाणे २६२४ गाहाकुला सुदिव्वा ३७५० गिद्ध भिलुंग-हलाहिय. पृ० ७४ टि. गिद्ध भिलुंग-हुलाहिय४७४ गिम्हुम्हहयस्स दुयं ४२०४ गिरि-गहण-विवर-सायर४७१८ । गिहिविज्जापडिएण व ४१८८ ४२०२ ४७७४ २३०७ 1602 1003 626 1600 1587 76 1933 १९१४ ३५७८ 1744 २००३ १६९२ २१०२ २००६ 1682 778 194 ३५७५ ७४७ ४४४३ ४४२२, ४५८६ 1491 1591 214 ४९८७ ३०७९ १७९७ 2112 420 1634 611 ८६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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