Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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पढम परिसिटुं
२८५ गाहको
गाहको
1071 ४२२७ ३७७३
गाहा गोयरविहिमटविहं गोवाडम्मि निरुद्धा गोसीस-चंदणरसं
" मलयचंदणगीसीसाडगरु-केययगोसीसावलि कासारगोसे मज्झण्हे वा गोहा-नउलाईणं
३०५४
२०३ ३२७४
2395 422, 2114
गाहा गीयस्थगुरुसमीवे गीयस्थपायमूले गीयत्यस्स वयणेणं गीयत्थाण गुरूणं गीयत्ये जे सुसंविग्गे गीयत्थो चरणस्थो गुणकारओ त्ति भुंज गुणगणहरमणगारं गुणधारणरूवेणं गुणपगरिसं जिणाणं गुगमवणगहण! सुतरयण
" सुयरयणगुणसंथवो कओ मे गुत्तीओ समिई-भावणाओ गुत्ती-समिहउवेओ ,,-समिइगुणड्डो गुत्तीहिं तीहिं गुत्तो गुरुगुणगुरुणो गुरुणो गुरुछंदाणंदरुई गुरुणाऽऽइह एयं गुरुणाऽऽइट्टो एसो गुरुणा कजमकजे गुरुणो छंदणुवित्ति गुरुपयजुयं नमित्ता गुरु-बाल-तवस्सीणं गुरुवयणं चित्तूर्ण गुरु-सुक्क-सोमदिवसे गूढं पवयणसारं गेण्हामि इमं दिक्खं गेविज्ज-उत्तरेसुं
, -ऽणुत्तरेसुं गेवेजावलिसरिसा गेवेजेसु य देवा गेहं वेराण गंभीर गेहेसु गिहत्याणं गोडे पाओवगओ गोम्बर "
1934 1203 २९२७
145 २९२४ 1174 1283 1104 २५२२ २६३२ ४८०० ४३८९ ३०२८ १५१५ २३७९ २४६७ 2275 २६७४ 1160 ३०४६ ३०४९ २९३९ २९३५
515 2211
घट्टणयाए अच्छिसु घणउदहिपइटाणा घणगजिय-हयकुहियं घण-तणु-मंडलि-मह-सुद्धघणमालाओ व दूरुघाणकढिएण पूइसु घाणगढिएण पूयसचित्तूण समणदिक्खं घुटम्मि सयं मोहे घूलाइऊण पुव्वं धूलाइयस्स कुलजस्स घोरम्मि गम्भवासे घोराभिग्गहधारी घोरुवसमा-परीसह घोसो वि जंबुदीवं
682 १८९ २९७८ 364,2056 २७६४, 1567
2120
428 १९८६
४१६ 1664 1665 ११३५ १२११ २४७८
७१० 2457 2206 2161
469 १८८ १९६ १८०१
२९९८ २८०१, 1684
१२२८
चइजण कसाए इंदिए चउअभिणयसंजुत्तं चउउदहिसलिल सरिया चउतीस बुद्धअइसय चउतीसा चोयाला चउत्थी उबला नाम चउदस-दस-नवपुवी चउदसपुवघराणं चउभाग चउब्भागा चउरंगाइ वि सेणाइ
३७७८
३७८७ 302, 1981
४१ ३६० २५४८
८९५ ४०६६ 1403
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