Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 342
________________ पढम परिसिटुं २८९ गाईको ७८६ ३३७१ 2380 ४०४९ १५८ ४०२६ ३२७१ १३० .८८० गाहा गाईको छज्जीवकायहितए १८६६ छजीवकायहियओ सव्व ६२५ हियतो सो ४३९७ छजीवनिकाए रक्खिऊण ७८३ छजीवनिकायाणं 2404 छजोयणाई विडिमा २३३१ छट्ट चउत्थं च तया ४३८७ छठ-ऽहम-दसम-दुवालसाई ३०९४ , -दुवालसेहिं अबहु " , भत्तेहिं उव- ५२३ , , , चित्त- ९३२ छहादी रविसेस" ३३५३ छडिं हिडिम-मज्झिम २३६ छट्ठी तु हायणी नाम ३६२ छटेणं भत्तेणं छण्णउतिमूलवालेहिं ३१५४ छह वि जीवनिकायाण 2262 छत्तं झयं पडागं ३०९० छत्तीसगुणसमण्णा २८९५, 1255 छत्तीसमट्टियाहि(१) य १०५९ छत्तीसाठाणेसु य ८३३ छत्तीसे भागसते ३४५२ छत्तुत्तमंगसोहा ४७२४ छनउइअंगुलो पुण ७१६ छन्नउइ सयसहस्सा १२० छप्पन्नं खलु भागा गाहा छसु ठाणेसु इमेसु उ छहिं मासेहिं दिणकरो छारस्स होइ पुंजो छावट्ठिसयसहस्सा छावहिसहस्साई नव सीसाणं छावडिं च सहस्सा , पिडयाई चंदा" " नक्खत्ता " महगगहाछावही य मुहुत्ता छावत्तरं गहाणं छासीतीओ समाओ छिण्णसोते भिसं सव्वे छिण्णादाणं धुवं कम्म , संयं , छिन्नमूला जहा वल्ली छेत्तण य छेदं तेरसेहिं १३२ ३४७३ ४२३० १८८४ १७५० १८३५ १८३६ ३५२४ ३५२८ 2312 2352 856 2411 " वरिससंख छेदेण वि सुझंती छेयण-फालण-डाहणछेयण-मेयण-डहणं छेयण-मेयण-ताडण ८७ , पंतीओ १५७६ १०६६ 577 २८६१ ६३३ छ प्पि उडूपरियट्टा छ पु(प्पु)व्वसयसहस्सा छम्माससेसजीवियछम्मासिया जहन्ना छलिया अवयवंता छन्बरिसी गम्भधरी छविहजयणागारं छन्विहजीवनिकाए छविहविणयविहन्नू छन्वीसजोयणसया पा. १९ ३१७७ ३८२३ 873 ९३१ २७८७ ४४८८ 1939 2776 ५२८ २५३ । जइ इच्छसि नित्थरि "" नीसरिउं "" सिद्धिपुरं " उप्पजह दुक्खं ,, उवसंतकसाओ ,, कहवि असुहकम्मोदएण " " वेयणत्तो होज मरणं ,, कोई पुच्छेजा ,, को वि मेस्मेत्तं ,, चक्कवट्टिरिद्धिं ,, जिणमतं पवजह २७९५ 2169 2791 ३५२१ 1691 630 ४४१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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