Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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गाहा
कयामा कम्मो
करवत्त-कुंभ-रुक्खा कललगयं दसरतं कलावत्थासु मओ
कलहकरा डमरकरा
कलहं अब्भक्खाणं अरइ
पेसुन्नं
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33
hot कुणिय निविण कलिओगे तेणउती
कलुसफलेण न जुज्जइ कलसीकयं पि उदयं
कलंकलं पिवरं
कलाको डिजणणी
कलाणपरंपरयं
कलाणफल विवागा
कलाण मित्तसंसरिंग
कला अभुदओ
ति भणतस्स
35
कल्लाणा लभति कल्लाणं
भुंजइ १
कवि य अक्खरलंभो
कल्लाणिड्डिसुहाई
कविसीसया य नियमा
कसाया मलणं तस्स
कसम्म होतिरूवं कसिणा परीसह चमू कसइ अणाभिओगा
कवि पमायओ जइ
* कहमाउसो ! अद्धत्तेवीसं तंदुल वाहे
कह सद्द - रूव-रस-गंध
कह होई सम्मत्तं कहिं पहिया सिद्धा ?
कंचणपुरम्म सिट्ठी
कंचणस्स जहा धाऊकिं (कं)चि वायग वालब्भं
कंतारदुग्गग्गे कतारे दुब्
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पढमं परिसि
गाईको
2269
2362
1526
2320
४४६३
1944
१००८, १५०९
537
३५१८
1097
1558
८८१
597
२७०७, 1392
२४९
१९६१
२३५८
१९३४
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२३०४
१८७४
३४९२
1064
३५७९
132
३८९
पृ० ८७ टि०
872
पृ० ७६ टि०
२८५, ४७७७
११७३
१६८५
३१३९
३११०
९८४, १४७५
गाहा
वारिमज्झे वा
33
कंती जा वा वयोवस्था
कंदप्प कुक्कुयाइय
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""
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33
33
35
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""
कंदप्पे कुक्कुइ कंबल रयणेण ततो
कंसा चत्तारि पलं कंसारियाइयाओ
"
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- गीय-विकहाइएहिं
देवब्बिस... । इय दु- ८०९, २८५२,
1796
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काउं पू
"2
काइयमाइ यस
काय वाइय- माणसिय
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33
33
- माणस्सियाओ *काई पमत्तभावं, काई पणयं काउस्सग्गठिएं काउस्सग्गेण अहो
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काऊण णमोकार
तित्थ वित्ति
... । इय-पर
। एयाओ... पंच
...I ... असं
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। एसा उ
... । ता देव
बारसवत्तं
मुणिस्स महिमं
तिहिं बिउणं
नमोक्कारं जिण... । संथार
सिद्धाणम
""
यकीकम्मं सिद्धसक्खं
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२७९
गाईको
१८१४
१८३१
८१०
78
२३५१
४६३०
1275
823
1873
काऊणISSउसमें सो ओवि साहुणीओ
४२०९ ४३७
काग-सुणगाण भक्
काण वि पट्टा गहिया 450, 2142 कातूण नमोकारं जिण... । जोतिसका देवदुई ? का
३१३७ २८५१
2181
714
८०९
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२८५२
715
४३२८
३१६१
378, 2070
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2163
४४००
2268
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