Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 323
________________ गाईको १४४९ पृ०८६ टि. 34 १०८. 1331 33 36 २७० 'पइण्णयसुत्ताई भाग १-२'गंथाणं गाहाणं अणुक्कमो गाहा गाहको गाहा उम्मम्गनिवारणयं 330, 2009 " " "...ममतं उम्मग्गमग्गसंपष्टियाण २९१४ , सरीरयं चिय उम्मग्गसंपयायं १२५४ उन्वत्तण-परियत्तण-पसारणा उम्मीसहस्सपउरं ३६५३ " परिवत्तण-उच्चारउयरमलसोहणहा २६७९ "- , -तुयट्टउरपरिसप्पत्ते विय 421 उब्वत्त दार संथार उरपरिसप्पे वि य अहि 2113 उवाओ तद्दिवसं उल्लपडसाडओ सो ४१९८ उन्विद्धा वीस उग्गया उल्लसियगुरुविवेगो उविल्लेऊण बला उलंठवयणपडियाय उन्वेयणयं जम्मण...चवणं उल्लं संतं वत्थं 1869 " , ...तिरिएसु उल्लीणोल्लीणेहि य ९२७ " " ...नरएसु उवएस-हेउ-कारण १०७७ " , ...मणुएसु उवएस-हे उ-कुसलं ७५६ उन्वेयणयं जम्म उवकरण-भंडमाईणं उबक्कमो य उक्केरो १६७१ उम्वेवणयं जम्मण...नरएसु उवगरणवग्गो [१ य इमो] 2790 उसभजिणस्स य सेज्जंस उवझायणमोकारो कीरंतो कुणइ 2476 उसभजिणे चुलसीती " " मरण 2475 उसभजिणो उप्पण्णो सुहाण 2477 उसभस्स अहमेणं उवझायाणं च णमो 2469 , पढमभिक्खा उवस्वरि सगुणठाणं 1050 , पुरिमताले उबलद्धपरमबंभा , होइ बंभी उवलद्धो सिद्धिपहो ११२१ उसभं च जिणवरिदं उववजिही विमाणे ४४०१ उसभाइ वट्टमाणे उववूहाइअकरणा 181 उसभाईए सम्वे उवसम्गगम्भहरणं ४४२९ उसभाओ उप्पण्णं उपसग्गेण विजंसो 1858 उसमे भरहो अजिए उवसग्गे तिविहे विय १२८६ उसभो पंच धणूसय उवसमइ किण्हसप्पो २७२२, 1408 उसभो य भरहवासे...। अजिओ उसमभावम्मि ठिओ 2667 " " ,...। एगसउसमविणयपहाणा 1950 " , "...। दस विनिउवसमेण हणे कोई ४७४३ " " ... ,, वि य उउवसामपुव्वणीया (१) ४७४० " , विणीयाए उवही-नियडिपइटो ८६७ उसिणे तगरऽरहन्नग उवहीय व नियडीय व ८६४ उसुवग्गं छग्गुणितं उवही सरीरगं चेव... मणसा १५४९ । उस्सप्पिणिदूसमदूसमाए 1184 २३२८ पृ० ८६ टि० १४८८ १४८६ १४८५ १४८७ पृ० ८५ टि. २८६० ९९३ ३९६० ३९९३ ३९३० ३९६२ ३९४३ ३९४७ ४००६ ३८४७ 493 2424 ४०३९ ४११३ ३९०९ ३८९० ३८५५ ४०९६ ४०६८ ३९३३ १२३९ ३३२८ ४५२६ २५४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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