Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 326
________________ पढम परिसिटुं २७३ २९७६ " पल्लाणं गाहा गाहको गाहा गाहको , पंचसु 594 एतेण कारणेण उ ४३४३ एगिंदिया व बेइंदिया 2571 , तु भजितब्बो ३४०७ एगणसहिरूवा ३४०६ एते तु माणवासा ३१८९ एगो एगित्थीए सद्धिं देवनिकाया ४६०७ १, जइ निजमओ 1343 , पुवायरिया ४१४९ जीवो चयइ पृ.८३ टि० , [य] नवनिहि(ही)तो ४६८५ बंधइ कम्म 735 " वुत्ता चउव्वीस ४६६० भगवं वीरो ३९३५ , सणिय सणियं ४४७४ ,, मे सासओ अप्पा ६४८, १४३९, २८३९, , सव्वे दोसा 1495 2586 एतेसिं खेत्ताणं ३५६८ , वह जीवो २८३८ " तु नवण्हं ४६९० , विमाणवासी १२७२ एतेसिं दोसाणं 1601 , सयंकडाई ९६७ ३२२८, ३५५४ संथारगओ 1244 , रिक्खाणं ३३०२ ,, हं नस्थि मे कोई न याह- 2583 एतेसु मुहुत्तजोएसु ७२० """, , नेवाह- पृ० ८५ टि. , य अन्नेसु य ३५७४ एतमवहाररासिं ३४७४ " , खेत्तेसु ३५८६ एतं किसिं कसित्ताणं १८७५ एतेहि तु भजितव्वो ३४१० एतं माणुसखेत्तं ३२६६ " नासियव्वं ४३१२ एता आउट्टीओ ३४०५ एत्तो आउट्टीओ ३३८१ एताई सोधश्ता...। चंदेण ३३९७ ,, एक्केकस्स उ चउद्दिसिं २२२९, २२७६ ,, सोहइत्ता...। एत्यं ३४८२ " " ,सय १२८६ एताणि सोधयित्ता...। रवि ३४२४ " एगमणा मे पृ०८७टि. , , ... सेसा ३३०८ , जो परिहीणो ५३९ एते अड्डातिन्जा ३२६५ , परं तु वोच्छं ओसप्पि- ५०५४ , अत्थे देहम्मि 1556 " " " तित्थगराणं । ४६६१ " उ समासेणं ६८ " " " सुसमाए ४७०२ , कालविभागा णातवा ३२३८ " , पडिवज्जते ३२३७ एत्थ किर मज़झदेसे ४१७२ , खलु पडिसत्त ४१५२, ४६९२ , पुण परिहरेज्जा 2581 चत्तालीसं अट्ठमय ४०८१ " , भावणाओ ८०८ दससु ४०९५ , य संका कंखा ४७५९ चेव विभागा. उस्सप्पि- ३२३५ * ,, विण्णत्तिं बेमि-इमस्स " , , नवरं ३५६० खलु ममाइयस्स १८११ , चोद्दस सुमिणे ताओ ३६५८ एत्थ विसेसो भण्णइ ८२८ , ,,पासित्ता.......कुच्छिसि ४५६८ | एत्थं च ठिया जीवा 2302 " ", "...... कुञ्छि सिद्ध- ४५७१ । , वेयावडियं 2592 पा. १८ " सबन्नुत्तं 584 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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