Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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गाहा
४७२७
६०७
125
७९९
पढमं परिसिटुं
२७५ गाईको । गाहा
गाहको " " सुसम
" कहिय समाही " परिहायमाणे
३८६,४४६५ कालगयस्सा
1797 एवमकारियजोगो
कुसुमसमिद्धे
४६४८ एवमणुचिंतयंता
१३१८ " खवओ कवचे
893 एवमणुचिंतयंतो
११२९ " गणवइमणुसासिऊण एवमणुद्धियदोसो
गुणगणसकस्स
२५०८ एवमणुसासणामय
752 * एवं च आलोइयपडिकतो... एव मरिऊण धीरा २४६६ वहरगुत्तमुणिवरो
2314 एवमसीति जिणिंदा ४०७६, ४०९० * एवं च कयसावजजोगवोएवमहक्खायविहिं
1852 सिरणो...कामगइंदो
2265 एवमाराधना षोढा 2717 एवं च गओ पक्खो
११७१ एवमाराधनां षोढा
2716 ___ * एवं च चउक्खधं आराहणं एवमिह निम्मले दरिसणम्मि
४७५७ ...मणिरहकुमारसाहू
2226 एवमेतं करिस्सामि
१८२७ * एवं च वच्चमाणेसु दियहेसु एवं अह वि जामे
1847 कामगइंदसाधू वि
2227 " अणेगवण्णाणं
२०१७ * एवं च वचमाणेसु दियहेसु वइरगुत्तसाधू , अमिथुव्वंतो ४६०८
2266 ,, अहियासितो
894, 1726 * एवं च वच्चंतेसु दियहेसु महारहसाहू 2422 ,, आपुच्छित्ता परिक्ख
768 * एवं च सयंभुदेवमहरिसी वि 2315 " , सगणं 1163 एवं चिढ्तस्स वि
1592 , आराहतो ६५८ एवं चिय वत्तव्वा
३६३१ ,, आलोएंतो 2770
४२३५ आलोयणपरिणयस्स
1178 , चेव तिगुणितं
३२९० एवं ईसाणस्स वि
२२८० , छिड्डपमाणं
३१५७ , ईसाणेण वि ३८०७ , जिणिंदआणाए
२११४ ३७२० , जिणोवइटें
पृ० ८६ टि० , उवडियस्स वि
८७० " णक्खचाणं
३२७९ एते भणिया
,, तवोगुणरतो
४६३४ ,, वुत्ता कित्तीपुरिसा ४६८७ , तवोबलत्ये
२००५ ,,, जिणचंदा
४६६८ ,, तित्थुप्पत्ती
४६४२ एवं सव्वं 876 , तिदंडविरओ
१०१४, १५१६ कमेण पुणरवि ४५३३ , तिपरिग्गहिए
३८०८ कयकरणिजो
1608 " तु कसायऽगी
९४० कयपरिकम्मो
913 कयसलेहं
९५६ ""मए भणिओ
४२३८ करेत्तु सोहि
९११ ,,,, भणियं
४१४२ , कसायजुज्झम्मि
1763 । "", भणिया
४०६७
" , वासेसुं
, उग्धोसेढ
४६९३
24
", भावियप्पा
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