Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 313
________________ 672 1511 " आलू ४६८. टि. 1791 २६० 'पइण्णयसुत्ताई भाग १-२'गंथाणं गाहाणं अणुक्कमो गाहा गाईको । गाहा गाईको अलमित्थ पसंगणं 633 अविकलसीलाऽऽयारा ७९० अलंबुसा मीसकेसी २२५९ अविगयतण्हो जीवो पृ० ८५ टि. अलाभ रोग तणफासा अविणीए सासंतो 1120 अलिए हिं हसिय-भणिएहिं अविणीयस्स पणस्सइ ४९५ अलियं सई पि भणियं २७४०, 1460 अवि दंतसोहणं पि हु 609 अलोए पडिहया सिद्धा २८६, ४७७८ अवियण्होऽयं जीवो १४९९ अल्यं भूरि च यत् क्वापि 2684 * अवि याई ताओ अंतरं भंगसयं ४६७ अल्लकचूरो अद्दो 2061 * , , , पासो व ४७० 369 * ,, तासिं इस्थियाणं अल्लीणजुत्तसवणा ४७२३ अविरहिया जस्स मई...1...तस्स ६०२, ९०० अवक्रयात्तवेश्मेव 2703 " , , ......सो मरणे पृ० ८० अवमास पुण्णमासी एवं ३५२० अवमासि पुण्णमासी पण? अविसुद्धभावदोसा अवरजु तओ थेरा 1816 अव्वय कसाय इंदिय 740 अवरविदेहुप्पण्णो ३०२९ अध्वियारा जलोहंता २०८६ अवरविदेहे दो वणिय३६१४ अव्वोच्छित्तिनिमित्तं 105 अवराहा परिणामा 1258 अव्वो जणस्स मोहो 2377 अवरुत्तररइकरगे २१९२ असइ दुगाई फलगा 84 अवरेण अंजणो जो २१७९ असम्भावं पवातंति १८९८ अवरेण य अणियाणं २३४२ असमत्तसुओ वि मुणी ६१२, ९१८ अवरेणं अणियाणं २३३७ असमाहीठाणाणं 2286 अवरे य खरारूढा 456, 2148 असम्मूढो उ जो णेता अवलंबिऊण सत्तं २८०३ असरीरा जीवषणा २९४, ४७६७ अवलोयणेण हिययं 1562 असितसिरतो सुनयणो ४५८९ अवसप्पिणीइ अहयं ३०६७ असि-मसि-किसि-वाणिजं ३५७६ , पढम ३०३७ असि-मसिसारिच्छीणं अवसप्पिणीए अद्ध ४५२१ असियसिरया सुनयणा ३८१६ अवसवसएहिं देहो 2387 असुइवणपूइगंध 1555 अवसेस साहितो ३५२९ असुइसरीरं रोगा अवसेसा अणगारा १२९० असुई अपेच्छणिज्ज 1531 अवसेसा णक्वत्ता पण्णरस वि होति १०४, असुई अमेझपुन्नं ४३८ ३३०१ असुयं पि सुयं भणियं 2188 अवसेसा णक्खत्ता पण्णरस वि सूर- १०८, असुरकुमाराईणं 398,2090 ३३१२ असुराणं नागाणं ४८, २३४७ अवसेसा वि सुरवती ३७८५ असुहस्स य निजरणं 1006 * अवि आई ताओ आसीविसो विव असुहाई झाणाई अविउत्तमल्लदामा २४७ अस्सद्दह वियणाए १०८१ 22 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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