Book Title: Painnay suttai Part 2
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 314
________________ २६१ गाईको पढम परिसिटुं गाहा गाहको । गाहा अस्संजममण्णाणं ९६९, १४५८, २८४३ अह न वि इमं पि सक्कसि अस्संजमम्मि विरओ 2274 अह न समत्तधरो जइ अस्संजमम्मि सत्तारसग्मि 2285 अह निजामयगुरुणो अस्सं जमवोगसणं अह पंडरे पहायम्मि अस्संजमवोसिरणं १०४९ अह पासे ठाऊणं अस्संजमं अकिरियं पृ० ८५ टि. अह पुवपओएणं अस्संजमे अरइरइनायं 538 अह भणइ थूलभद्दो अन्नं अस्संजमेण बद्धं ५३२ " " , गणियाअह अच्चुयकप्पवती ३७६७ " " " पच्छाअह इच्छसि मरणाई 2419 अह भणइ नंदराया मंतिअह इत्तो उपसगा 560 ", , लाभो अह इत्तो चउरंगे १३२० अह भुणइ भद्दबाहू अणगार अह ईसाणे कप्पे ३७३० " " " पढने अह उत्तरिल्लभवणं ३७१४ " " , सो अह एंति तहिं तुरियं ३६७९ अह भणति एव भणितो अह कयखामणजोगो 2576 ,, नंदराया केण अह कयपरिकम्मविहिस्स 1101 " , " वच्चद अह किं मे होह हियं पृ०८४ टि. अह मज्झिममाराहणअह गम्भयमणुयत्ते 424, 2116 अह मणिमंदिरसुंदरअह जइ खवगसरीरे 2165 अह महुरं फुडवियर्ड अह जइ खंडियचरगो 225 अहमा य सूरभीरू अह जा सावगखवगो 546 अह य रहयंति नो जे अह जिगर्दसणवियसिय ३७४५ अह राग-दोसगभं * अहणं पसवणकालसमयसि ३४८ अह वड्डति सो भगवं अह तस्स महव्वयसुट्टियस्स २६९० अह वर्धृति जिजिंदा अह तं अम्मा-पितरो......राय " , सुगब्भा "" , ...।...लेहा अहव रहो वा जाणं अह ते देवाण पई ३७४८ अहवा अरिहंताणं अह ते घरवीढलुढंत 1161 अहवा उ पुंछवाला अह दाणि सो नरिंदो ४१९२ अहवा कालसहावा अह दुक्कडगरिहानल 301 अहवा चिलाइपुत्तो अह दूसमाए कालो ३५६३ अहवा जीवाईया " , तीसे ४४७२ अहवा दिसिन्वयाइसु ,, ,, सेसे ४३६२ अहवा दुवस्सजायाय अह दूसमातोवी(१°माइमी)से अहवा पंडियमरणाई अह देह वजमाणी ३८१० अहवा बिंति तिहा तं अह नवमम्मि अईए ३६७३ । अहवा भावेण विणा 2676 231 152 ३८१४ ३७४६ 2513 ४३४१ ४३२६ ४३१० ४३२४ ४३३४ ४३०९ ४२८७ ४२९८ ३१४१ ४३२७ ४३३५ 1779 २८०८ ११०५ ४५०० 2611 २७७५ ४५८८ ३८१५ ३६७२ 2610 507 94 २७२७ 2595 2551 ३१५५ 979 706 2500 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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